“हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है”
-कमलापति त्रिपाठी
एक ऐसी भाषा जिसकी सरलता ही उसकी खूबसूरती है, जिस की लिखाई से ज़्यादा सुन्दर उसकी धुन है, ऐसी भाषा जो भारत के सभी राज्यों में बोली, लिखी और पढ़ी जाती है, वो हिंदी ही है। भारत के अधिकतर राज्यों में इस भाषा का प्रयोग लोग बातचीत, पढ़ने, एवं बोलने के लिए करते हैं। अक्सर जब बच्चा बोलना सीखता है तो उसका पहला शब्द होता है 'माँ' जो कि हिंदी भाषा से आता है। इसी प्रकार से हिंदी और भी बहुत तरह से हमारे जीवन का एक बहुमूल्य हिस्सा बन चुकी है और हम इस भाषा का प्रयोग इतने मायनों में करते हैं की हमें एहसास भी नहीं होता।
मगर बदलते वक़्त के साथ मानो जैसे लोग हिंदी का महत्त्व भूलते ही जा रहे हैं। आज जहाँ देखो अंग्रेजी का ही बोल बाला है, यूँ लगता है कि लोग हिंदी से दूर होते जा रहे हैं, भाषा की खूबसूरती और गहराई को भूलते जा रहे हैं। इसलिए हम ले कर आये हैं 5 ऐसी किताबें जो आपको सिर्फ हिंदी में पढ़नी चाहिए क्योंकि कुछ बातों की अभिव्यक्ति एक भाषा में ही की जा सकती है।
दोपहरी, फिल्म अभिनेता एवं निर्माता पंकज कपूर द्वारा लिखी गयी पहली किताब है। मात्र 91 पन्नों की यह किताब आपके दिल में घर कर जाएगी। यह कहानी है अम्मा बी की जो लखनऊ में अपनी हवेली में अकेली रहती हैं। रोज़ दोपहर 3 बजे उन्हें कुछ आवाज़ें सुनाई देती हैं और वह घबराहट में वह वृद्धाश्रम जाने के बारे में सोचने लगती हैं मगर जाने से पहले वे अपनी हवेली किसी भरोसेमंद इंसान के हाथ सौंप कर जाना चाहती हैं और इसी के चलते उनकी मुलाकात सबीहा से होती है। वे अम्मा बी के जीवन में ख़ुशी और उम्मीद वापस ले कर आती है और आगे जो होता है वह आप किताब पढ़ कर जान सकते हैं।
अगर हम हिंदी उपन्यासों की बात कर रहे हैं तो मुंशी प्रेमचंद की बात होना लाज़मी है। 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि से सम्मानित मुंशी प्रेमचंद हिंदी के लोकप्रिय लेखक हैं। 250 कहानियां, 14 उपन्यास और न जाने कितने निभांध लिखने वाले यह लेखक अद्वितिय हैं। अपने लेखन के माध्यम से प्रेमचंद सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का एक ज़रिए भी था। गोदान, प्रेमचंद के सबसे प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है। यह उनका आख़िरी उपन्यास है और इसे उनकी सबसे अहम कृतियों में से एक माना जाता है और अगर आप प्रेमचंद की लिखाई का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो हिंदी से बेहतर कुछ नहीं।
विख्यात पत्रकार रवीश कुमार के बारे में जितना लिखा जाए कम है। उनकी शख्सियत ही उनके लिए बात करती है और वह बेबाक, निडर और सच्ची पत्रकारिता में यकीन रखने वाले गिने-चुने पत्रकारों में से एक हैं। हाल ही में उन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है। ऐसी शख्सियत द्वारा लिखी गयी यह किताब आपको अवश्य पढ़नी चाहिए। बोलना ही है इस बात की जाँच करते है की पिछले कुछ वर्षों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्र किस रूप से प्रभावित एवं बाधित हुई है। कैसे जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि और नेता लोगों को बेवकूफ़ बना कर लोकतंत्र के अंत की तरफ हमें धकेल रहे हैं। हिंदी में प्रकाशित होने से पहले यह किताब कन्नड़, मराठी और अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी है।
प्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश अपने अनूठे अंदाज़ और आधुनिकतावादी सोच के लिए जाने जाते हैं। उनकी सोच और नेतृत्व उनके काम में साफ़ झलकता है। उनकी कहानियों में एक नयापन छलकता है और उनके द्वारा लिखे गए नाटकों से यह साफ़ दिखता है। साहित्य आलोचक, अनुवादक एवं लेखक मोहन राकेश की रचनाएं तो बहुत हैं मगर आषाढ़ का एक दिन के आगे सब फीका लगता है। यह उनकी मौलिक रचनाओं में से एक है और आपको यह ज़रूर पढ़नी चाहिए।
तमस, भीष्म साहनी की मौलिक रचनाओं में से एक है। देखा जाए तो तामस केवल पांच दिनों की कहानी है लेकिन सिर्फ पांच दिनों की इस कहानी में भीषम साहनी साहनी दहशत में डूबे पांच दिनों का वर्णन इस तरीके से करते हैं कि पाठक एक ही सांस में पूरी किताब पढ़ लेता है। आज़ादी से पहले साम्प्रदियिक्ता की आग लगा कर जो दंगे भड़काए गए थे और दरिंदगी फैलाई गई थी, भीष्म साहनी इस उपन्यास में उसका वर्णन करते हैं और पाठक यह सोचने पर मजबूर हो जाता है की क्या आज भी हालात बदले हैं?
इसी के साथ हम इस लेख का अंत करना चाहेंगे। हम आशा करते हैं की आपको यह पसंद आया होगा और उम्मीद करते हैं की आप अपनी मातृभाषा के लिए अपने प्रेम को व्यक्तिगत रूप से जगाने की एक कोशिश ज़रूर करेंगे। हम जानते हैं की अंग्रेजी आज के समय पर भाषा से ज़्यादा प्रतिष्ठा का प्रतीक बन चुका है मगर इसका यह मतलब तो नहीं कि आप दूसरी भाषाओँ से दूर हो जाएं।
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