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1232km : Corona Kaal mein Ek Asambhav Safar

1232km : Corona Kaal mein Ek Asambhav Safar

by Vinod Kapri

Regular price Rs 179.10
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 184

किताब के बारे में
कोरोना के कारण 2020 में घोषित लॉकडाउन ने करोड़ों भारतीयों को अकल्पनीय त्रासदी का सामना करने के लिए विवश कर दिया। नगरों-महानगरों में कल-कारखानों पर ताले लटक गए; काम-धन्धे रुक गए और दर-दुकानें बन्द हो गईं। इससे मजदूर एक झटके में बेरोजगार, बेसहारा हो गए। मजबूरन उन्हें अपने गाँवों का रुख करना पड़ा। उनका यह पलायन भारतीय जनजीवन का ऐसा भीषण दृश्य था, जैसा देश-विभाजन के समय भी शायद नहीं देखा गया था। लॉकडाउन के कारण आवागमन के रेल और बस जैसे साधन बन्द थे, इसलिए अधिकतर मजदूरों को अपने गाँव जाने के लिए डेढ़-दो हजार किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ी। कुछेक ही ऐसे थे जो इस सफर के लिए साइकिल जुटा पाए थे।

‘1232km : कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’ ऐसे ही सात प्रवासी मजदूरों की गाँव वापसी का आँखों देखा वृत्तान्त है। उन्होंने दिल्ली से सटे गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) से अपना सफ़र शुरू किया, जहाँ से सहरसा (बिहार) स्थित उनका गाँव 1232 किलोमीटर दूर था। उनके पास साइकिलें थीं लेकिन उनका सफ़र कतई आसान नहीं था। पुलिस की पिटाई और अपमान ही नहीं, भय, थकान और भूख ने भी उनका कदम-कदम पर इम्तिहान लिया। फिर भी वे अपने मकसद में कामयाब रहे।

लेखक के बारे में
विनोद कापड़ी फ़िल्म जगत के जाने-माने हस्ताक्षर हैं। अपनी फ़िल्म ‘कांट टेक दिस शिट एनीमोर’ (2014) के लिए वे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। उनकी एक और फ़िल्म ‘पीहू’ (2017) ने भी अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में दो पुरस्कार हासिल किए हैं।

फ़िल्म जगत में सक्रिय होने से पहले कापड़ी लम्बे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। वे ‘अमर उजाला’, ‘ज़ी न्यूज़’, ‘स्टार न्यूज़’, ‘इंडिया टीवी’ और ‘टीवी-9’ जैसे महत्त्वपूर्ण मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं।

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