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Aakhiri Sawal

Aakhiri Sawal

by Sharat Chandra Chattopadhyay

Regular price Rs 175.50
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 244

Binding: Paperback

इस उपन्यास में शरतचन्द्र ने स्त्री–पुरुष के मन को लेकर जो आखिरी सवाल, मुख्यत% मनोरमा और अजित तथा कमल और अविनाश के सम्बन्/ाों के माध्यम से उठाया है उसका जवाब आज तक किसी ने नहीं दिया है । सवाल यह है कि क्या किसी भी विधि–विधान से विवाह कर लेने के बाद स्त्री–पुरुष के मन का मेल चिरस्थायी हो जाता है! क्या विवाह के बाद पति या पत्नी का मन क्रमश% परस्त्री और परपुरुष के प्रति आकर्षित नहीं होता है ? और अगर ऐसा होता है, तो क्या यह अस्वाभाविक है ? अगर यह अस्वाभाविक है, तो भटका मन लिये जीवन भर कुढ़–कुढ़कर जीना स्वाभाविक है ? अगर यह स्वाभाविक है तो फिर जीवन सुन्दर कैसे है ? और अगर जीवन सुन्दर नहीं है, तो जीने का सुख और आनन्द क्या है ? विवाह एक समझौता है, एक अनुबन्/ा है । जब तक चलता है, ठीक है, नहीं चलता है, तो भी ठीक है । इसमें नैतिकता नहीं ढूँढ़ी जानी चाहिए । मन का मेल नैतिकता के आ/ाार पर नहीं होता है । मन का मेल रुचि, पसन्द और विचार के आ/ाार पर होता है । मनोरमा अजित की वाग्दत्ता है । कमल और अविनाश का विवाह वैदिक रीति से नहीं, अन्य रीति से हुआ है । इसलिए लोग उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं । देखनेवालों में मनोरमा और अजित भी शामिल हैं । पर मन का खेल अजीब है । एक समय आता है जब मनोरमा अविनाश से विवाह कर लेती है और अजित कमल से विवाह करना चाहता है । कमल विवाह–संस्कार को महत्त्व नहीं देती है । वह मन के मेल को तरजीह देती है । वह अजित के साथ बिना विवाह किए जीवन भर साथ रहने को राजी हो जाती है । स्त्री–पुरुष के मन को लेकर समाज में बार–बार यह सवाल उठाया जाता है कि क्या नैतिक है और क्या अनैतिक । यही तो आखिरी सवाल है । पाठक अपने मन के अनुसार आखिरी सवाल का जवाब इस उपन्यास में पा जाएँगे । --विमल मिश्र
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