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Kharashein

Kharashein

by Gulzar

Regular price Rs 349.00
Regular price Rs 395.00 Sale price Rs 349.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 87

Binding: Hardcover

सन् 1947 में जब मुल्क आज़ाद हुआ तो इस आज़ादी के साथ-साथ आग और लहू की एक लकीर ने मुल्क को दो टुकड़ों में तकसीम कर दिया। यह बँटवारा सिर्फ मुल्क का ही नहीं बल्कि दिलों का, इंसानियत का और सदियों की सहेजी गंगा-ज़मनी तहज़ीब का भी हुआ। साम्प्रदायिकता के शोले ने सब कुछ जलाकर खाक कर दिया और लोगों के दिलों में हिंसा, नफरत और फिर कापरस्ती के बीज बो दिए। इस फिर कावाराना वहशत ने वतन और इंसानियत के जि़स्म पर अनगिनत खराशें पैदा कीं। बार-बार दंगे होते रहे। समय गुज़रता गया लेकिन ये जख्म भरे नहीं बल्कि और भी बर्बर रूप में हमारे सामने आए। जख्म रिसता रहा और इंसानियत कराहती रही...लाशें ही लाशें गिरती चली गईं। 'खराशें' मुल्क के इस दर्दनाक किस्से को बड़े तल्ख अंदाज़ में हमारे सामने रखती है। लब्धप्रतिष्ठ फिल्मकार और अदीब गुलज़ार की कविताओं और कहानियों की यह रंगमंचीय प्रस्तुति इन दंगों के दौरान आम इंसान की चीखों-कराहों के साथ पुलिसिया ज़ुल्म तथा सरकारी मीडिया के झूठ का नंगा सच भी बयाँ करती है। यह कृति हमारी संवेदनशीलता को कुरेदकर एक सुलगता हुआ सवाल रखती है कि इन दुरूह परिस्थितियों में यदि आप फँसें तो आपकी सोच और निर्णयों का आधार क्या होगा—मज़हब या इंसानियत? प्रवाहपूर्ण भाषा और शब्द-प्रयोग की ज़ादुगरी गुलज़ार की अपनी $खास विशेषता है। अपने अनूठे अंदाज़ के कारण यह कृति निश्चय ही पाठकों को बेहद पठनीय लगेगी।
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