Skip to product information
1 of 1

Tarkash

Tarkash

by Javed Akhtar

Regular price Rs 225.00
Regular price Rs 250.00 Sale price Rs 225.00
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.
Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 164

Binding: Paperback

जावेद अख्तर एक कामयाब पटकथा लेखक, गीतकार और शायर होने के अलावा एक ऐसे परिवार के सदस्य भी है जिसके जिक्र के बगैर उर्दू अदब का इतिहास कूर नहीं कहा जा सकता। जावेद अख्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील शायर जाँनिसार अख्तर और मशहूर लेखिका सफिया अख्तर के बेटे और प्रगतिशील आँदोलन के एक और जगमगाने सितारे, लोकप्रिय कवि मजाज के भांजे है । अपने दौर के रससिद्ध शायर मुज्तर खैराबादी जावेद के दादा थे । मुत्जर के वालिद सैयद अहमद हुसैन ‘रुस्वा’ एक मधुर सुवक्ता कवि थे । मुज्तर की वालिदा सईंदुन-निसा ‘हिरमाँ' उन्नीसवीं सदी की उन चंद कवयित्रियों में से है जिनका नाम उर्दू के इतिहास में आता है । जावेद की शायरा परदादी हिरमाँ के वालिद अल्लामा फ़ज़ले-हक़ खैराबादी अपने समय के एक विश्वस्त अध्येता, दार्शनिक, तर्कशास्त्री और अरबी के शायर थे । अल्लामा फ़ज़ले-हक़ , ग़ालिब के करीबी दोस्त थे और वो ‘दीवाने-गालिब’ जिसे दुनिया आँखों से लगाती है, जावेद के स्रगड़दादा अल्लामा फ़ज़ले-हक़ का ही संपादित किया हुआ है । अल्लामा फ़ज़ले-हक़ ने 1857 की जंगे-आज़ादी में लोगों का जी जान रने नेतृत्व करने के जुर्म में अंग्रेजों से काला यानी की सजा पाई और वहीं अंडमान में उनकी मृत्यु हुई । इन तमाम पीढियों से जावेद अख्तर को सोच, साहित्य और संस्कार विरासत में मिले है और जावेद अख्तर ने अपनी शायरी से विरसे में मिली इस दौलत को बढाया ही है । जावेद अख्तर को कविता एक औद्योगिक नगर की शहरी सभ्यता में जीनेवाले एक शायर की शायरी है । बेबसी और बेचारगी, भूख और बेघरी, भीड़ और तनहाई, गंदगी और जुर्म, नाम और गुमनामी, पत्थर के फुटपाथों और शीशे की ऊँची इमारतों से लिपटी ये Urban तहजीब न सिर्फ कवि को सोच बल्कि उसकी ज़बान और लहजे पर भी प्रभावी होती है । जावेद को शायरी एक ऐसे इंसान की भावनाओँ की शायरी है जिसने वक्त के अनगिनत रूप अपने भरपूर रंग में देखे है । जिसने जिन्दगी के सर्द-गर्म मौसमों को पूरी तरह महसूस किया है । जो नंगे पैर अंगारों पर चला है, जिसने ओस में भीगे फूलों को चूमा है और हर कड़वे-मीठे ज़ज्बे को चखा है । जिसने नुकीले रने नुकीले अहसास को छूकर देखा है और जो अपनी हर भावना और अनुभव को बयान करने को शक्ति रखता है । जावेद अख्तर जिन्दगी को अपनी ही आँखों से देखता है और शायद इसीलिए उसकी शायरी एक आवाज है, किसी और की गूँज नहीं । डॉ. गोपीचंद नारंग
View full details

Recommended Book Combos

Explore most popular Book Sets and Combos at Best Prices online.