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1947 Ke Baad Ka Bharat (hindi)

1947 Ke Baad Ka Bharat (hindi)

by Gopa Sabharwal

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Author: Gopa Sabharwal

Languages: Hindi

Number Of Pages: 616

Binding: Paperback

Package Dimensions: 8.3 x 5.4 x 1.3 inches

Release Date: 01-12-2019

Details: Product Description स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है। पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं— भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य पहले एशियन गेम्स हिंदी बनी राजभाषा भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध पहला हृदय प्रत्यारोपण पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण पहली त्रिशंकु संसद् शताब्दी ट्रेन की शुरुआत उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना कालक्रम से व्यवस्थित: 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।. About the Author गोपा सभरवाल का कॅरियर व अभिरुचियाँ नाना प्रकार की हैं। वे भारतीय समाज की बहुआयामी विविधताओं का अध्ययन करती हैं—भारत-केंद्रित टी.वी. शो के सृजन और निर्देशन द्वारा; कर्नाटक के शहरी भागों की जातीय पहचान द्वारा या समाज के इतिहास का खाका खींचकर। सन् 1993 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज में समाज-शास्त्र विभाग स्थापित किया। वे सन् 2006 में फुलब्राइट स्कॉलर रहीं। वर्ष 2010 से 2016 तक वे नालंदा विश्वविद्यालय की संस्थापक कुलपति रहीं—उसे 21वीं शताब्दी के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का स्वरूप देने में सक्रिय रहीं। उन्हें ‘एथनिसिटी एंड क्लास: सोशल डिविजन्स इन एन इंडियन सिटी’; ‘दि इंडियन मिलेनियम: ए.डी. 1000-2000’ तथा खूब बिकनेवाली प्रश्नोत्तरी की कई पुस्तकें लिखने का गौरव प्राप्त है|.

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