Author: S.M. Mushrif
Languages: Hindi
Number Of Pages: 252
Binding: Paperback
Package Dimensions: 9.0 x 6.0 x 1.0 inches
Release Date: 01-12-2018
Details: "जब इस किताब के लेखक, एस. एम. मुशरिफ़ ने अपनी पहली किताब, ‘हू किल्ड करकरे?’ (‘करकरे के हत्यारे कौन?’) में 26/11 के मुम्बई आतंकी हमले की आई.बी. व पुलिस कहानी की धज्जियाँ उड़ायीं और ज़्यादा विश्वसनीय दूसरा मत प्रस्तुत किया, तब देश में, विशेेष रूप से आई.बी. और दक्षिणपंथी गुटों में, अच्छी ख़ासी घबराहट पैदा हो गई। इस किताब में वे यह बताने के लिये फिर लौटे हैं कि अपनी झूठी कहानी को सच साबित करने के लिए आई.बी. ने किस तरह मामले की जाँच में हर स्तर पर न सिर्फ़ हस्तक्षेप किया, बल्कि अपने भारी असर का भी इस्तेमाल किया और मीडिया के एक वर्ग व पुलिस की मदद से अदालतों के गलियारों को कामयाबी के साथ पार कर लिया तथा उसके आखि़री पड़ाव, अर्थात्, फाँसी के तख़्ते तक पहुँचा दिया। इस किताब में मामले की दोबारा जाँच कराये जाने की सारी कोशिशों को विफल करने की आई.बी. की चतुर चालों का भी वर्णन किया गया है। लेखक ने संविधानेतर प्राधिकारी के रूप में आई.बी. द्वारा हमारी लगभग सभी संवैधानिक संस्थाओं को प्रभावित करने की हद तक हासिल अनियन्त्रित अधिकारों पर गम्भीर चिन्ता जताई है। फिर भी उन्होंने किताब को न्यायपालिका पर भरोसा जताने की आशावादी टिप्पणी पर ख़त्म किया है। There was quite a flutter in the country, especially in the camps of the IB and right-wing groups, when the author of this book, S.M. Mushrif, in his first book, Who Killed Karkare?, smashed the IB and Police theory of the 26/11 Mumbai terror attack case and offered a more convincing alternative theory. In this new book, he comes back to narrate as to how the IB, in order to prove its false theory, not only interfered in the investigations of the case at every stage, but also employed its tremendous clout and, with the help of a section of the media ...