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Ab Aur Nahin

Ab Aur Nahin

by Om Prakash Valimiki

Regular price Rs 176.00
Regular price Rs 195.00 Sale price Rs 176.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 107

Binding: Hardcover

हिंदी दलित कविता की विकास-यात्रा में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं का एक विशिष्ट और महत्त्पूर्ण स्थान है | आक्रोशजनित गम्भीर अभिव्यक्ति में जहाँ अतीत के गहरे दंश हैं, वहीँ वर्तमान की विषमतापूर्ण, मोहभंग कर देनेवाली स्थितियों को इन कविताओं में गहनता और सूक्ष्मता के साथ चित्रित किया गया है | दलित कविता के आंतरिक भावबोध और दलित चेतना के व्यापक स्वरुप को इस संग्रह की कविताओं में वैचारिक प्रतिबद्धता और प्रभावोत्पादक अभिव्यंजना के साथ देखा जा सकता है | दलित कवि का मानवीय दृष्टिकोण ही दलित कविता को सामाजिकता से जोड़ता है | इस संग्रह की कविताओं में दलित कविता के मानवीय पक्ष को प्रभावशाली ढंग से उभारा गया है | दलित कवि जीवन से असम्पृक्त नहीं रह सकता | वह घृणा में नहीं, प्रेम में विश्वास करता है --'हजारों साल की यातना को भूकर/निकल आए हैं शब्द/कूड़ेदान से बाहर/खड़े हो गए हैं/उनके पक्ष में/जो फँसे हुए हैं अभी तक/अतीत की दलदल में |' 'अब और नहीं...' संग्रह की कविताओं में ऐतिहासिक सन्दर्भों को वर्तमान से जोड़कर मिथकों को नए अर्थों में प्रस्तुत किया गया है | दलित कविता में पारंपरिक प्रतीकों, मिथकों को नए अर्थ और संदर्भो से जोड़कर देखे जाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है, जो दलित कविता की विशिष्ट पहचान बनाती है | ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं में 'किष्किंधा' शीर्षक कविता में 'बालि' का आक्रोश दलित कवि के आक्रोश में रूपांतरित होकर कविता के एक विशिष्ट और प्रभावशाली आयाम को स्थापित करता है-'मेरा अँधेरा तब्दील हो रहा है/ कविताओं में/याद आ रही है मुझे/बालि की गुफा/और उसका क्रोध |' इस संग्रह की कविताओं का यथार्थ गहरे भावबोध के साथ सामाजिक शोषण के विभिन्न आयामों से टकराता है और मानवीय मूल्यों की पक्षधरता में खड़ा दिखाई देता है | ओमप्रकाश वाल्मीकि की प्रवाहमयी भावाभिव्यक्ति इस कवितों को विशिष्ट और बहुआयामी बनाती है |
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