Author: Swatantra Kumar
Languages: Hindi
Number Of Pages: 144
Binding: Paperback
Package Dimensions: 8.4 x 5.4 x 0.6 inches
Release Date: 01-12-2019
Details: जब भी क्रांतिकारियों की बात होती है तो बरबस ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों के नाम जहन में आ जाते हैं, लेकिन उस क्रांतिकारी का नाम बहुत ही कम बार जुबान पर आता है, जिसने किशोरावस्था में ही अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। भारत माँ के उस महान् सपूत का नाम है—‘खुदीराम बोस’। खुदीराम बोस स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए फाँसी के फंदे को चूमनेवाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे। बाल्यावस्था में ही जब उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया तो धरती माँ को ही अपना सर्वस्व मान लिया, लेकिन माँ (धरती) को अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त देख उनका हृदय सुलग उठा। उन्होंने मन-ही-मन ठान लिया कि वे अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्त कराकर ही दम लेंगे। जिस घटना को खुदीराम ने अंजाम दिया था, उनकी विरासत को आगे चलकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्लाह खाँ जैसे महान् क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ाया। यही कारण था कि ब्रिटिश शासन का सिंहासन डाँवाँडोल हो गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। हुतात्मा खुदीराम बोस के जीवन से जुड़े अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों को सरल, सरस एवं सहज भाषा-शैली में प्रस्तुत कर उनकी चिरस्मृति को नमन करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक|