Antaral
by Mohan Rakesh
Original price
Rs 595.00
Current price
Rs 539.00


- Language: Hindi
- Publisher: Rajkamal Prakashan
- Pages: 184
- ISBN: 9788126700776
- Category: Novel
- Related Category: Literature
Product Description
कुछ सम्बन्ध ऐसे भी होते हैं जिन्हें कोई नाम नहीं दिया जा सकता । परन्तु ये नामहीन सम्बन्ध कई बार अन्य सम्बन्धों की अपेक्षा कहीं सूक्ष्म और गहरे होते हैं । अन्तराल—एक स्त्री और एक पुरुष के बीच के ऐसे ही सम्बन्ध की कहानी है । दोनों की पारस्परिक अपेक्षा शारीरिक और मानसिक अपेक्षाओं के रास्ते से गुज़रती हुई भी वास्तव में एक और ही अपेक्षा है—एक-दूसरे के होने मात्र से पूरी हो सकनेवाली अपेक्षा—हालाँकि इस वास्तविकता की पहचान स्वयं उन्हें भी नहीं है। दोनों के जीवन में दो रिक्त कोष्ठ हैं—श्यामा के जीवन में उसके पति का और कुमार के जीवन में एक दुबली पीली-सी लड़की का जिसके साथ कभी उसने घर बसाने की बात सोची थी। इन रिक्त कोष्ठों की माँग ही उन्हें इस सम्बन्ध की स्वाभाविकता को स्वीकार नहीं करने देती। वे एक-दूसरे के लिए जो कुछ हैं, उसके अतिरिक्त कुछ और हो सकने की व्याकुलता ही उनके बीच का अन्तराल है। अन्तराल आज की भाषा में लिखी गई आज के मानव-सम्बन्धों की एक आन्तरिक कहानी है। पहली बार आज की संश्लिष्ट मन:स्थितियों को इतना अनायास शिल्प मिल सका है। इस दृष्टि से यह उपन्यास लेखक की अन्यतम उपलब्धियों में से है । बोलना शुरू करके जिस तरह वह लगातार बोलती गई, उसी तरह चुप हो जाने के बाद का$फी देर तक चुप बनी रही, शायद अब वह उसके बोलने की आशा कर रही थी। लेकिन वह जो महसूस कर रहा था, उसे शब्दों के तो क्या, विचारों के घेरे में भी ठीक से नहीं बाँध पा रहा था। श्यामा ने जो कुछ कहा था, उसने उसके मन की उदासी को और गहरा दिया था। परन्तु वह उदासी ज़्यादा श्यामा को लेकर थी या अपने-आपको? श्यामा के लिए उसके मन में जो भाव था, वह सहानुभूति और दया से आगे एक आक्रोश का था। ऐसी क्या चीज़ थी जिसके कारण वह साढ़े तीन साल पहले के अपने जीवन से ऐसे बुरी तरह चिपकी थी कि आज का जीवन उसके लिए कुछ अर्थ रखता था, तो केवल उसी सन्दर्भ में? और वह चिपकना उसके जीवन की सचाई थी या सचाई से बचने का एक हठ-भरा उपाय? वह नहीं सोच पा रहा था कि श्यामा के उस सारे संघर्ष में वह स्वयं कहाँ पर है। क्या वह सचमुच उससे अपना एक तरह का सम्बन्ध मानती थी...या वह भी एक उपाय ही था जो केवल एक अनुपस्थिति को अपनी उपस्थिति से भर सकता था? —इसी पुस्तक से