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Arthat

Arthat

by Chhabil Kumar Meher

Regular price Rs 225.00
Regular price Rs 250.00 Sale price Rs 225.00
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Language: Hindi

Number Of Pages: 120

Binding: Hardcover

लेखकों के संसार और आलोचकों की दुनिया की कोई सीमान्त रेखाएँ नहीं होतीं। इसके पीछे तर्क यह है कि 'साहित्य का सत्त्व ही है हर युग में कल्पना, अनुभव और अपने समय का नवीनीकरण करना।' चर्चित कथाकार मृदुला गर्ग के इस कथन के तारतम्य में युवा आलोचक-समीक्षक छबिल कुमार मेहेर की नई आलोचना कृति 'अर्थात्' कोदे खा-परखा जा सकता है। उल्लेखनीय बात यह है कि इससे पूर्व उनकी सात आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित-प्रशंसित हो चुकी हैं। छबिल कुमार के लेखन की विशेषता है- अपने विषय के प्रति सजगता व यथार्थ की गहरी समझ, तथा उन्हें स्पष्टतया विश्लेषण करने की क्षमता ।
निराला की कालजयी सृष्टि 'राम की 'शक्ति-पूजा' से लेकर अधुनातन तुलनात्मक अध्ययन के परिप्रेक्ष्य' तक को समेटने वाली इस छोटी-सी पुस्तक में विविधता होने के बावजूद एकता का एक झीना तागा अन्तर्निहित है। यही 'अनेकता में एकता' की तलाश ही लेखक की अपनी पहचान है। जिस पाठ केन्द्रित अर्थान्वेषी आलोचना' की बात छबिल ने आलोचना का स्वदेश' पुस्तक में की थी, उसकी छाप इस पुस्तक में विद्यमान है ही, साथ ही उनकी गहरी शोध-दृष्टि व संतुलित आलोचना विवेक को भी यहाँ आसानी से रेखांकित किया जा सकता है। इस लिहाज से 'अर्थात' 'आलोचना का स्वदेश' का उत्तर-पाठ हारती है।

-डॉ. गुलाम मोइनुद्दीन खान

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