Author: Garima Srivastava
Languages: Hindi
Number Of Pages: 224
Binding: Paperback
Release Date: 26-11-2022
“आउशवित्ज़ : एक प्रेम कथा - स्त्री के प्रेम और स्वाभिमान के तन्तुओं से बुने इस उपन्यास के पात्र और घटनाएँ सच्ची हैं, इतिहास इन घटनाओं का मूक गवाह रह चुका है। हिटलर की नात्सी सेना द्वारा यहूदियों के समूल खात्मे के लिए बनाये यातना शिविरों में से एक है आउशवित्ज़-जो अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। युद्ध के निशान ढूँढने पहुँची प्रतीति सेन, अपने जीवन को फिर से देखने की दृष्टि आउशवित्ज़ में ही पाती है। प्रतीति कब रहमाना ख़ातून हो उठती है और कब रहमाना ख़ातून प्रतीति-पहचानना मुश्किल है। कथा शिल्प की दृष्टि से प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव की प्रस्तुति काफ़ी प्रभावशाली है।" -प्रोफ़ेसर हेइंज वेर्नर वेस्लर यूनिवर्सिटी ऑफ उप्पसला, स्वीडन जे एन यू के भारतीय भाषा केन्द्र में बतौर प्रोफ़ेसर कार्यरत, स्त्रीवादी चिन्तक प्रो. गरिमा श्रीवास्तव किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। साहित्य और समाजविज्ञान की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनका शोधपरक लेखन गम्भीर अध्येताओं का ध्यान अलग से आकर्षित करता है। प्रो. गरिमा श्रीवास्तव ने युद्ध आर युद्ध के बाद की स्थितियों को स्त्रीवादी नज़रिये से देखने का जो प्रयास किया है वह हिन्दी भाषा एवं साहित्य की दुनिया में विरल है। इन्होंने दुनिया-भर में हुए युद्ध को देखने और समझने के लिए एक अलग सैद्धान्तिकी विकसित की है जिसके अनुसार युद्ध भले पृथ्वी के किसी ख़ास भूभाग पर लड़ा जाता हो लेकिन अन्ततः वह घटित होता है स्त्री की देह पर।