'बेगमात के आँसू' मरहूम ख्वाज़ा हसन निज़ामी की प्रसिद्ध और शायद सबसे लोकप्रिय कृति है, जिसमें 1857 के ऐतिहासिक घटनाक्रम के बाद दिल्ली के शाही खानदान के लोगों को जो दमन और उत्पीड़न झेलना पड़ा, दाने-दाने को मोहताज़ होकर जो दुर्दिन देखना पड़ा, उसका सजीव और मार्मिक चित्र उपस्थित हुआ है। 'बेगमात के आँसु' के नाम से पाठकों को यह भ्रम हो सकता है, कि इसमें सिर्फ़ शाही परिवार की महिलाओं की आपबीती ही बयान की गई होगी, लेकिन ऐसी बात है नहीं। अगर यहाँ बादशाह बहादुरशाह की पोती सुल्ताना बानू, बादशाह की बेटी कुलसुम जमानी बेगम और नातिन जीनत जमानी बेगम जैसी शाही खानदान की। अनेकानेक महिलाओं-युवतियों की दुरवस्था से हमारा सामना होता है, तो बहादुरशाह के दादा शाह आलम के 'धेवते माहे आलम और उसके पिता मिर्ज़ा नौरोज़ हैदर, शाही खानदान के मिर्ज़ा दिलदार शाह के दुधमुंहे बेटे, यहां तक कि ख़ुद बादशाह बहादुरशाह ज़फ़र जैसे अनेक राजपुरुषों और बच्चों की व्यथा कथा भी हमारी संवेदना को झंझोड़ती है। मानवीय करुणा और इतिहास की त्रासदी से सराबोर इस यादगार कृति का हिंदी में अनुवाद अपने समय के प्रसिद्ध पत्रकार श्रीराम शर्मा ने किया है।
-
Categories
- Aaj Urdu Magazine
- Anthology
- Biographies, Diaries & True Accounts
- Business, Economics and Investing
- Children's & Young Adult
- Classics
- Crafts, Home & Lifestyle
- Crime, Thriller & Mystery
- Culinary
- Deewan
- Epics
- Fantasy, Horror & Science Fiction
- Film, Theater & Drama
- Historical Fiction
- History
- Humorous
- Journalism
- Kulliyat
- Language, Linguistics & Writing
- Legends & Mythology
- Letters
- Nature, Wildlife & Environment
- Novel
- Poetry
- Politics
- Religion
- Research & Criticism
- Romance
- Sciences, Technology & Medicine
- Self Help & Inspiration
- Short Stories
- Translation
- Travel
- Merchandise
- Languages
- Blogs