Bhakt Prahlad
by Suryakant Tripathi 'Nirala'
Rs 95.00


- Language: Hindi
- Pages: 95
- ISBN: 9788171788965
- Category: Novel
- Related Category: Literature
Product Description
भारत के पौराणिक साहित्य में अनेक ऐसे किशोर चरित्र हैं जो मनुष्य के अडिग विश्वास, आस्था और संकल्प बल के प्रतीक हैं। भक्त प्रह्लाद हमारे पौराणिक आख्यानों का ऐसा ही चरित्र है। इस चरित्र की कथा के माध्यम से निराला ने प्रह्लाद के उस अटूट विश्वास को उजागर किया है जो किसी भी आततायी के सामने पराजित नहीं होता। साथ ही, मानव-प्रकृति के वर्णन पर भी निराला ने अपना ध्यान केंद्रित किया है। भक्त प्रह्लाद जब शिक्षा के लिए गुरुकुल में पहुँचा तो गुरु ने आरंभ में जो तीन बातें बतलाईं उनमें तीसरी थी, ‘‘तुम यहाँ कभी यह घमंड न कर सकोगे कि तुम राजा के लड़के हो। यहाँ जितने लड़के हैं, सबका बराबर आसन है। सम्मान की दृष्टि से बड़ा वह है जिसने अध्ययन अधिक किया है। तुम्हें सदा ही उसका अदब करना चाहिए।’’ इसके बाद निराला लिखते हैं, ‘‘प्रह्लाद मौन धारण किए इन अनुशासनों को सुन रहे थे। तीसरी आज्ञा उन्हें भायी। राजा और रंक एक ही आसन पर बैठकर ज्ञानार्जन करते हैं, समता के इस भाव से समदर्शी बालक का मुख प्रफुल्ल हो उठा।’’ उपरोक्त उद्धरण से स्पष्ट है कि भक्त प्रह्लाद एक पौराणिक चरित्र का पुनराख्यान-मात्र नहीं है, बल्कि उसके माध्यम से निराला ने किशोर पीढ़ी के लिए समता और मनुष्यता का संदेश भी दिया है।