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Bharat Ke Sankatgrast Vanya Prani

Bharat Ke Sankatgrast Vanya Prani

by Gunakar Muley

Regular price Rs 549.00
Regular price Rs 600.00 Sale price Rs 549.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 247

Binding: Hardcover

हम इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि किसी दिन इस /ारती पर केवल मानव जाति का अस्तित्व होगा । पशु–पक्षियों व अन्य जीवधारियों की असंख्य प्रजातियों और वनस्पतियों की अगणित किस्मों के अभाव में क्या इस सृष्टि में जीवन को बचाए रखना संभव होगा । सच्चाई तो यह है कि सृष्टि एक अखंड इकाई है । चराचर की पारस्परिक निर्भरता ही जीवन का मूल मंत्र है । यदि किसी कारण से जीवन–चक्र खंडित होता है तो इसके भीषण परिणाम हो सकते हैं । ‘भारत के संकटग्रस्त वन्य प्राणी’ में प्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने ऐसे प्राणियों की चर्चा की हैµजो विलुप्त होने की कगार पर हैं । उन्होंने अनेक ऐसे प्राणियों का जिक्र किया है जिन्हें अब इस धरती पर कभी नहीं देखा जा सकता । विगत दशकों में 36 प्रजातियों के स्तनपायी प्राणी और 94 नस्लों के पक्षी प्रकृति के अंधाधुंध शोषण के कारण नष्ट हो चुके हैं । लेखक की चिंता यह है कि यदि इसी प्रकार हिंसा, लालच और अतिक्रमण का दौर चलता रहा तो इस खूबसूरत दुनिया का क्या होगा! यह असंतुलन विनाशकारी होगा । लेखक के अनुसार, ‘हमारे देश में प्राचीन काल से वन्य प्राणियों के संरक्षण की भावना रही है । हमारी सभ्यता और संस्कृति में वन्य प्राणियों के प्रति प्रेम भाव रहा है । इसलिए हमारे समाज में वन्य जीवों को पूज्य माना जाता है । वन्य जीवों तथा पक्षियों को मुद्राओं और भवनों पर भी चित्रित किया जाता रहा है ।’ हमें आज इस भाव को नए संदर्भों में विकसित करना होगा । वन्य प्राणी संरक्षण के लिए बनाए गए अधिनियमों से अधिक आवश्यकता व्यापक नागरिक चेतना की है । गुणाकर मुळे सहज सरल भाषा में इस आवश्यकता को रेखांकित करते हैं । अनेक चित्रों से सुसज्जित यह पुस्तक पर्यावरण के प्रति जागरूकता निर्माण में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी । हर आयु के पाठकों के लिए पठनीय पुस्तक ।
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