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Bhasmavrit Chingari
Bhasmavrit Chingari
by Yashpal
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Number Of Pages: 136
Binding: Paperback
यशपाल के लेखकीय? सरोकारों रहा. उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा,. वैचारिक प्रतिबद्धता और परिस्कृत न्याय-बुद्धि है । यह 'आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में, जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों मैं वह ज्यादा तरल' रूप 'में पाद- गहराई कै साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर '-आते हैं । उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है ।, प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरंभ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों र को प्रकाशन किंचित् विलम्ब 'से आरंभहहुआ।कहानीकार ककेरूप में उनकी विशिष्टता यह हहै किइन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुआ और अक्षु?. रहते शहुए-अपनी कहानी-कला का विकास किया ।, उनकी दकहानियोंमें संस्कारगत जड़ता 'और नए विचारों ककाद्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उमरर्कुर ?आताहै (उसनेभविष्य के कथाकारों केलिए एक - नई लीक बनाई., जो आज ततकचचलीआती है । .. वैचारिक निष्ठा, निषेधों 'औरवर्जनाओं रो स्फ' न्याय तथा ततर्करकीकसौटियों पर खखरा जीवन-ये कुछ ग्रेसे मूल्य दहैंजिनके लिए! हिन्दी कहानी, यशपाल की ऋणी है । भस्मावृत चचिंगारीकहानी संग्रह 'में उनकी ये कहानियों शामिल हैं : भस्मावृत चिंगारी, गुलाम की वीरता., महादान, गवाही, वफादारी र्का? सनद, वान हहिंडबर्ग,भाग्य का चक्र, पुरुष भगवान', ददेवीका वरदान, इस टोपी को ससलामसत्य कका मूल्यर ससआदतसाग., पहाड़ का, छल और घोड़ी की हाय ।,
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