यह महज़ इत्तिफाक है या फिर उत्तराधिकार? नानी बहुत कम आयु में मर गई थीं, सुना था कि उनकी छाती मंे फोड़ा था, कभी किसी को बताया ही नहीं। यदि बताया भी होगा तो मालूम नहीं क्या उपचार हुआ होगा? अन्त समय में लोग उनके पास जाने तक से कतराते थे। मरी हुई मछली जैसी गन्ध आने लगी थी उनकी देह से। ‘‘कैन्सर!’’ डॉक्टर स्टीेवन ने सुनते ही कहा तुम्हारी नानी को अवश्य ही कैन्सर रहा होगा। यदि ट्यूमर निकाला न जाए तो वह अन्दर ही अन्दर ऐसे ही बढ़ता रहता है, जब फूटता है तो पूरे शरीर में उसका ज़हर फैल जाता है। बहुत भयंकर, पीड़ा भरी मौत होती है।’’ उसकी कल्पना मात्र से ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं, डाक्टर स्टीवेन मेरे कंधे पर हलके से हाथ रखते हुए कहते हैं, ‘‘पर तुम फिक्र न करो हम लोग यहाँ हैं तुम्हारे लिए इस रणस्थली में हम साथ-साथ हैं मिलकर इस शत्रु को परास्त करने में सफल होंगे।’’ ‘‘वादा?’’ वह आश्वस्त भाव से मुस्करा दिए - ‘‘वादा’’ उन्होंने दोहराया।
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