Author: Sadhguru
Languages: Hindi
Number Of Pages: 208
Binding: Paperback
Package Dimensions: 8.3 x 5.5 x 0.6 inches
Release Date: 01-12-2018
Details: "चाहो! सब कुछ चाहो ''लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं,'' 'बुद्ध ने कहा इच्छा न करो। लेकिन आप तो कहते हैं-सारा कुछ पाने की इच्छा करो। यह विरोधाभास क्यों है?' जो अपने जीवन-काल के अंदर समस्त मानव जाति को ज्ञान प्रदान करने की इच्छा करते रह, क्या उन्होंने लोगों को इच्छा का त्याग करने को कहा होगा? कभी नही। बड़ी से बड़ी इच्छाएं पालिए। उन्हें पाने के लिए सौ फीसदी लगन के साथ कार्य कीजिए। ध्यानपूर्वक इच्छा का निर्वाह करेंगे तो वांछित मनोरथ पा सकते हैं।'' -सद्गुरु बेहद लोकप्रिय साप्तहिक 'आनंद विकटन' में एक वर्ष-पर्यत धरावाहिक रूप से निकलकर, फिर पुस्तकाकार प्रकाशित सद्गुरु के वचनामृत अब आपके हाथों में है - 'चाहो! सब कुछ चाहो'
अनुक्रम
निवेदन
I
इच्छाओं की बुनियाद
1. इच्छाओं को त्यागना मूर्खता है!-15
2. क्या आप खुशी को गिरवी रखना चाहेंगे?-19
3. प्रकृति से सीखिए-23
4. खुदगर्जी भी जरूरी है-26
5. समस्याओं का स्वागत करें-30
6. वह क्षण, जब दस्तक देगी कामयाबी-34
7. जिंदगी आपके मन-माफिक-38
8. क्षमता के अनुरूप ऊँचाई-42
9. क्रोध को मार डालो-46
10. पूरी लगन के साथ काम कीजिए-50
11. दिलचस्प लगेगा हरेक मोड़-54
12. बच्चे को कैसा उपहार दें?-58
13. नंबर क्या कर सकते हैं?-62
II
नुकसान में भी फायदा
14. क्या अगले की बरबादी में है आपकी कामयाबी?-69
15. सपने साकार होंगे-72
16. आप भी बनें उग्रवादी-76
17. खुशी किसमें है?-80
18. नाहक अपने को न दुखाइए-83
19. बुरी आदतें कौन सी हैं?-87
20. क्या प्रेम भी कोई माया है?-90
21. कौन किसका मेल है?-94
22. लगाव बुरा नहीं है-98
23. कर्तव्य-विदा कर दीजिए इस शब्द को-102
24. विनाश भी विकास के लिए ही है-105
25. जिम्मेदारी भी कोई बोझ है!-109
26. विधि-विधानों का नियामक कौन?-112
(Continue)....