चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव वैष्णव /ार्म के विकास में एक चमत्कारी घटना है । एक गहरे आवेश और भावनात्मकता के साथ सारे जनसामान्य तक वैष्णव धर्म को पहुँचाने का काम पहले बंगाल में और बाद में सम्पूर्ण देश में, चैतन्य महाप्रभु ने किया । म/ाुर भाव की नाम–संकीर्तन पद्धति चैतन्य की देन है । इसी के साथ वैष्णव /ार्म ने एक नये युग में प्रवेश किया । प्रस्तुत पुस्तक में पहली बार चैतन्य के व्यक्तित्व के इस योगदान को सम्पूर्णता के साथ उजागर किया गया है । लेकिन इस पुस्तक का उद्देश्य मात्र इतना ही नहीं है । विद्वान लेखक ने चैतन्य के व्यक्तित्व को तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों में भी रख कर देखा है । अपने समय के इतिहास में चैतन्य का व्यक्तित्व एवं चुनौती की तरह उभरा और पराजित हिन्दू जाति को एक नयी आस्था और नये आलोक से संयुक्त करने का काम भी चैतन्य ने किया । उपन्यासकार नागर जी की लेखनी से प्रस्तुत चैतन्य की यह जीवनी पढ़ने पर एक उपन्यास का मजा तो देती है, साथ ही वैष्णव /ार्म के उदार पथ के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान भी सामने लाती है ।
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