Char Din Ki Jawani Teri
by Mrinal Pande
Original price
Rs 250.00
Current price
Rs 225.00


- Language: Hindi
- Pages: 108
- ISBN: 9788171197187
- Category: Short Stories
- Related Category: Novella
Product Description
तेजी से सिकुड़ती इस दुनिया में पिछड़ा भारत 'नयेपन' के ओले सह रहा है । नयापन का दायरा तकनीक, पद्धति, वस्तु से लेकर विचार तक फैला है । नये वाद के आगमन के साथ पुराने वादों के अंत की घोषणाओं में कथा के अंत की घोषणा शामिल है । साहित्य अकबकाया दीखता है । लेकिन इस संकलन की कहानियाँ अपनी जमीन में जड़ों को पसारती, तने को ठसके से खड़ा रखे हुए दीखती हैं क्योंकि उसे भरोसा है अपनी कथा में सिक्त पूर्वी तर्ज का । उनमें पहाड़ का दरकता जीवन अपने रूढ़ विश्वासों और गतिशीलता, दोनों के साथ दीखता है । कहानियों में जीवन की स्थितियाँ और चरित्र दोनों महत्त्व पाते हैं । इनमें हिर्दा मेयो जैसा अनूठा चरित्र भी है । उसकी हँसी में ऐसा रूदन छिपा है जो सीधे पहाड़ की दरकती छाती से फूटता रहता है फिर भी अपनी अस्मिता पहाड़ में ही तलाशता है । मंत्र से बवासीर ठीक कर लेने का भ्रम पालने वाले हरूचा के साथ विदेश में जा बसे मुन्नू चा जैसे चरित्र भी हैं । विकास के नाम पर पहाड़ की संजीवनी सोख लेने वाली शक्तियाँ हैं । प्रकृति के आदिम प्रजनन कृषि पर पड़ती परायी छाया की दारुण कथा 'बीज' में है । जहाँ हिर्दा मेयो में पहाड़ का धीरज है वहीं उसके मँझले बेटे में पहाड़ का गुस्सा भी है । इन कहानियों में आत्म-विश्वास से भरा खुलापन है जो परंपरा की मिट्टी पर प्रयोग करता चलता है । कथा-रस से भरपूर इन कहानियों में विवरण की भव्यता के साथ-साथ चरित्र-चित्रण की विरल कुशलता भी लक्षित होती है । भाषा में लचीलापन के साथ कविता-सी खुशबू भी है । परंपरा के संग चलती प्रयोगशीलता भी है । देसज मिट्टी से फूटी आधुनिकता प्रयोग के लिए परायों का मुँह नहीं जोहती बल्कि स्वयं नया रूप रचती है । यह मृणाल पांडे का चौथा संकलन है जो नया तो है ही, प्रौढ़ भी है । इसीलिए इसकी रचनात्मकता की प्रतिध्वनियाँ भविष्य में भी सुनी जाएँगी । अरुण प्रकाश