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Chhui Mui

Chhui Mui

by Ismat Chughtai

Regular price Rs 157.50
Regular price Rs 175.00 Sale price Rs 157.50
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 148

Binding: Paperback

‘तुम्हारे खमीर में तेजाबियत कुछ ज्यादा है !’ किसी ने इस्मत आप से कहा था ! तेजाबियत यानी कि कुछ तीखा, तुर्श और नरम दिलों को चुभनेवाला ! उनकी यह विशेषता इस किताब में संकलित गद्य में अपने पूरे तेवर के साथ दिखाई देती है ! ‘कहानी’ शीर्षक से उन्होंने बतौर विधा कहानी के सफ़र के बारे में अपने ख़ास अंदाज में लिखा है जिसे यहाँ किताब की भूमिका के रूप में रखा गया है ! ‘बम्बई से भोपाल तक’ एक रिपोर्ताज है, ‘फसादात और अदब’ मुल्क के बंटवारे के वक्त लिखा गया उर्दू साहित्य पर केन्द्रित और ‘किधर जाएँ’ अपने समय की आलोचना को सम्बंधित आलेख हैं ! श्रेष्ठ उर्दू गद्य के नमूने पेश करते ये आलेख इस्मत चुगताई के विचार-पक्ष को बेहद सफाई और मजबूती से रखते हैं ! मसलन मुहब्बत के बारे में छात्राओं के सवाल पर उनका जवाब देखिए- ‘एक इसम की जरुरत है, जैसे भूख और प्यास ! अगर वह जिंसी जरुरत है तो उसके लिए गहरे कुँए खोदना हिमाकत है ! बहती गंगा में भी होंट टार किए जा सकते हैं ! रहा दोस्ती और हमखायाली की बिना पर मुहब्बत का दारोमदार तो इस मलक की हवा उसके लिए साजगार नहीं !’ किताब में शामिल बाकी रचनाओं में भी कहानीपन के साथ संस्मरण और विचार का मिला-जुला रसायन है जो एक साथ उनके सामाजिक सरोकारों, घर से लेकर साहित्य और देश की मुश्किलों पर उनकी साफगो राय के बहाने उनके तेजाबी खमीर के अनेक नमूने पेश करता है ! एक टुकड़ा ‘पौम-पौम डार्लिंग’ से, यह आलेख कुर्रतुल ऐन हैदर की समीक्षा के तौर पर उन्होंने लिखा था जिसे जनता और जनता के साहित्य की सामाजिकता पर एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में पढ़ा जा सकता है ! हैदर साहिबा के पात्रों पर उनका कहना था- ‘लड़कियों और लड़कों के जमघट होते हैं, मगर एक किस्म की बेहिसी तारी रहती है ! हसीनाएँ बिलकुल थोक के माल की तरह परखती और परखी जाती हैं ! मानो ताम्बे की पतीलियाँ खरीदी जा रही हों !’
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