भीष्म साहनी ऐसे कथाकार थे जिन्हें किसी आन्दोलन ने न कभी विचलित किया, न प्रेरित किया। कला और यथार्थ के साथ उनका अपना निजी रिश्ता था, जिसे उन्होंने आखिर तक अक्षत बनाए रखा। जीवन, जीवन को चुनौती देनेवाले विद्रूप और उसे बल देनेवाले सौन्दर्यबोध की शाश्वत मौजूदगी, अहि उनका संसार था । 'डायन' का प्रकाशन 1998 में हुआ था, और यह उनके जीवन-काल में प्रकाशित उनका अंतिम कहानी-संग्रह था। इसके बाद उनका उपन्यास 'नीलू नीलिमा निलोफर' और आत्मकथा 'आज के अतीत' ही प्रकाशित हुए। आजादी की पचासवीं वर्षगाँठ पर प्रकाशित इस संकलन में भी उस पीड़ा की तारतम्यिक उपस्थिति दिखाई देती है जिससे भीष्म जी की संवेदना आजादी की शुरुआती सुबहों से ही जुड़ गई थी और जिसका चरम 'तमस' में प्रकट हुआ-विभाजन और सांप्रदायिक क्रूरता। इस संकलन की 'बीरो' कहानी पुनः विभाजन की तरफ लौटती है, वह बीरो जो बँटवारे के वक्त पाकिस्तान में रह गई थी, और बाद में सलीमा बनकर वहीँ की हो गई। लेकिन भीतर के तार जो सीमाओं की बाद को लाँघकर दोनों मुल्कों की गलियों में बार-बार आ पहुँचते है, अब भी बीरो के ह्रदय में सजीव हैं । 'डायन' कहानी मध्यवर्गीय मानसिकता की ऊहापोह का बिम्ब है । अन्य कहानियाँ भी पचास वर्षों में अपना रूप-स्वरुप तलाशती सामाजिकता के ही विभिन्न रेशों को रेखांकित करती हैं ।
-
Categories
- Aaj Urdu Magazine
- Anthology
- Biographies, Diaries & True Accounts
- Business, Economics and Investing
- Children's & Young Adult
- Classics
- Crafts, Home & Lifestyle
- Crime, Thriller & Mystery
- Culinary
- Deewan
- Epics
- Fantasy, Horror & Science Fiction
- Film, Theater & Drama
- Historical Fiction
- History
- Humorous
- Journalism
- Kulliyat
- Language, Linguistics & Writing
- Legends & Mythology
- Letters
- Nature, Wildlife & Environment
- Novel
- Poetry
- Politics
- Religion
- Research & Criticism
- Romance
- Sciences, Technology & Medicine
- Self Help & Inspiration
- Short Stories
- Translation
- Travel
- Merchandise
- Languages
- Blogs