Desh Ke Is Daur Mein
by Vishwanath Tripathi
Sold out
Original price
Rs 125.00
Current price
Rs 112.00


- Language: Hindi
- Pages: 111
- ISBN: 9788171788552
- Category: Research & Criticism
परसाई जी पर आपकी किताब मिल गई और पढ़ ली गई । अपने देश व समाज से, मानवता से आप जिस गहराई तक जुड़े हैं, उस पर अचंभा होता है । आपके लेखन से ताकत मिलती है । बहुत-सी चीजें साफ होती हैं । परसाई जी का मैं प्रशंसक हूँ आज से नहीं, बहुत पहले से । हिंदी में आज तक ऐसा हास्य-व्यंग्यकार नहीं हुआ । आपने बहुत बड़ा काम किया है । परसाई जी की जीवनी और कृतित्व दोनों को मिलाकर एक पुस्तक लिखी जानी चाहिए । -अमरकान्त परसाई पर विश्वनाथ त्रिपाठी ने पहली बार गंभीरता से विचार किया है । यह अभी तक की एक अनुपम और अद्वितीय पुस्तक है, जिसमें परसाई के रचना-संसार को समझने और उद्धाटित करने का प्रयास किया गया है । -ज्ञानरंजन परसाई का लेखन डी. विश्वनाथ त्रिपाठी के चिंतन के करीब पड़ता है । वे अपने चिंतन को परसाई की रचना से पुष्ट और समृद्ध करते हैं । परसाई जी के निबंधों की उन्होंने बहुत् तरह से, बहुत कोणों से जाँच-पड़ताल की है-वर्तमानता की दृष्टि से, मनोविकारों की दृष्टि से, कला की दृष्टि से और रूप की दृष्टि से । -बलीसिंह