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Dus Dware Ka Peenjara

Dus Dware Ka Peenjara

by Anamika

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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 272

Binding: Paperback

‘सैल्वेशन’ से लेकर ‘लिबरेशन’ तक स्त्री-मुक्ति किन कठिन रास्तों से गुजरी है–इसकी सजग दास्तान है अनामिका की कृति दस द्वारे का पींजरा। पितृसत्ता के वर्चस्व तले निरन्तर क्षयग्रस्त इस दुनिया में स्त्री की मुक्ति खोजना आकाश और धरती के बीच सांस्कृतिक पुल बनाने से कम मुश्किल नहीं है। लेकिन, यह कठिन काम अंजाम दिए बिना दस द्वारे के इस पींजरे में रहनेवाले सुन्दर पंछी खुले गगन में उड़ने के लिए तैयार नहीं हो सकते। संस्कृति के इसी पुल पर सफर करनेवाले कई ऐतिहासिक पात्रों से यह उपन्यास पाठकों की अविस्मरणीय मुलाकात कराता है। इनमें स्वामी दयानंद, फेनी पावर्स, मैक्सम्युलर, महादेव रानाडे, केशवचंद्र सेन, ज्योतिबा फुले, भिखारी ठाकुर और महेन्द्र मिसिर जैसी इतिहास और लोक-प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल हैं जिनके बिना हमारी आधुनिकता अपनी मौजूदा शक्ल-सूरत हासिल नहीं कर सकती थी। दिलचस्प बात यह है कि इन किरदारों के साथ-साथ इस पुल पर हिन्दू समाज का पतित ब्राह्मणवादी रूढ़िवाद, प्रेम और स्त्री-पुरुष रिश्तों का विमर्श, ब्रिटिश और अमेरिकी आधुनिकता का अन्तर, समाज सुधार का आन्दोलन और रुकमाबाई के मुकदमे जैसे प्रकरण भी अपनी यात्रा कर रहे हैं। सरस कथाक्रम, कल्पनाशीलता, अनूठे शिल्प, विपुल भाषायी वैविध्य, अनुसन्धान और विचार-सम्पदा से रँगे हुए इन पृष्ठों पर भारतीय आधुनिकता के इतिहास की एक कमोबेश अछूती तस्वीर अपनी समस्त जटिलताओं के साथ चित्रित की गई है। दो परिच्छेदों की इस महागाथा में दो नायिकाएँ हैं : पंडिता रमाबाई और ढेलाबाई। इनकी आत्मीय कथा के जरिए अनामिका ने अपने पात्रों और परिस्थितियों के इर्द-गिर्द भारतीय समाज का एक ऐसा तत्कालीन परिदृश्य बुना है जिसमें आधुनिकता के उन्मोचक प्रभावों से परम्परा का पुनर्संस्कार करने की प्रक्रिया चलती दिखाई देती है।
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