Description
दुल्हन रुखसत होकर जा चुकी थी! मँझली खाला कोनों में मुहँ छिपाकर रोटी फिर रही थी ! बड़े भैया बार-बार आँसू पीने की कोशिश कर रहे थे ! लोगों के उठने के बाद शामियाने के नीचे सोफे अब जरा बेतरबीती से पड़े थे ! कारचोबी मसनद पर जहाँ निकाह और बाद में आरसी मुसहिफ हुआ था, अब बच्चे कूद रहे थे और फूलो के हार बिखरे पड़े थे! मीरासने गाते-गाते थक चुकी थीं! शहर की 'ऊँची सोसाइटी' के अफराद मेजबानों को खुदा हाफिज करके मोटरों में सवार हो रहे थे ! बिलकिस रिश्तेदारों के हुजूम में अंदर बैठी जोर-जोर से हंस रही थी! स्याह शेरवानी और चूड़ीदार पाजामे में मलबूस उसका कजिन मेहमानों को सिगरेट पेश करते-करते उकताकर सोफे पर बैठ गया था! उसकी भाभीजान शामियाने के एक कोने में उसके दोस्तों के हुजूम में खड़ी मसल-ए-कश्मीर पर धुआँधार तकरीर कर रही थी! 'यह हमारा पटरा करवाएगी' - नादिर ने जरा परेशानी से सोचा और फिर माफ़ी मंगवाने के लिए कोठी के अंदर चला गया! वह उसी तरह कड़ी बहस में उलझ रही थी जब एक शानदार शख्स हाथ में काफी की प्याली लिए उसके करीब से गुजरा और उसे देखकर बड़ी उदासी से मुस्कराया गोया उसकी आँखों में तैरते बेपायाँ अलम को समझाता हो या समझने की कोशिश कर रहा हो!