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Ghar Ka Jogi Jogda

Ghar Ka Jogi Jogda

by Kashinath Singh

Regular price Rs 144.00
Regular price Rs 160.00 Sale price Rs 144.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 135

Binding: Paperback

घर का जोगी जोगड़ा-- ‘गरबीली गरीबी वह’ के बारे में ‘अद्भुत रचना है काशी का संस्मरण - जिस उ$ष्मा, सम्मान और समझदार संयम से लिखा गया है, वह पहली बार तो अभिभूत कर लेता है। मैं इसे नामवरी सठियाना-समारोह की एक उपलब्धि मानता हूँ। साथ ही मेरी यह राय भी है कि अगर ऐसी कलम हो तो हिटलर को भी भगवान बुद्ध का अवतार बनाकर पेश किया जा सकता है। (मज़ाक अलग) व्यक्तित्व के अन्तर्विरोधों पर भी कुछ बात की जाती तो शायद और ज़्यादा जीवन्त संस्मरण होता! - राजेन्द्र यादव ‘घर का जोगी जोगड़ा’ के बारे में ‘काशीनाथ सिंह का आख्यानक उनके रचनात्मक गद्य की पूरी ताकत के साथ सामने आया है। काशी के पास रचनात्मक गद्य की जीवंतता है - गहरे अनुभव-संवेदन हैं। उनकी भाषा को लेकर और अभिव्यक्ति भंगिमाओं को लेकर काफी कुछ कहा गया है, परन्तु जो बात देखने की है वह यह है कि अपनी जमीन और परिवेश से काशी का कितना गहरा रिश्ता है। संस्मरण को जीवन्त बना देने का कितना माद्दा है। काशी पूरी र्उ$जा में बहुत सहज होकर लिखते हैं और जब ‘भइया’ सामने हों तो वे अपनी रचननात्मकता के चरम पर पहुँचते हैं और महत्त्वपूर्ण के साथ-साथ तमाम मार्मिक और बेधक भी हमें दे जाते हैं। - डॉ. शिवकुमार मिश्र बहुपठित, बहुचर्चित, बहुप्रशंसित संस्मरण हैं ये कथाकार भाई काशीनाथ सिंह के। केन्द्र में हैं हिन्दी समीक्षा के शिखर पुरुष नामवर सिंह के जीवन के अलग-अलग दो संघर्षशील कालखंड! विशेष बात सिर्फ यह कि यदि ‘गरबीली गरीबी वह’ ने संस्मरण विधा को पुनर्जीवन के साथ नई पहचान दी थी तो ‘घर का जोगी जोगड़ा’ ने उसे नई उँ$चाई और सम्भावनाएँ।
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