युग निर्माता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपने युग के लेखकों की भाषा में जो सुधार किए एवं उनकी रचनाओं का भाषा विश्लेषण किया है, उनके योगदान का प्रस्तुत पुस्तक में सम्यक मूल्यांकन किया गया है। लेखिका ने आलोच्य पुस्तक में महावीर प्रसाद द्विवेदी का मूल्यांकन भाषा वैज्ञानिक पद्धति पर किया है, जिसके साथ उनका साहित्यिक अवदान भी स्पष्ट होता चला है। सरस्वती पत्रिका में द्विवेदी जी के सम्पादन कर्म का सम्यक मूल्यांकन भी इसय पुस्तक की अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता है। द्विवेदी जी द्वारा प्रयुक्त शब्दकोश को भी प्रस्तुत किया गया है। जिन पाठकों को द्विवेदी के समस्त कार्यों का अवगाहन कर सरस्वती के महत्त्व को जानने की जिज्ञासा हो, साथ ही नवजागरण से युक्त हिन्दी साहित्य को व्याकरणिक परिवर्तन को देखने की इच्छा हो उनके लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय एवं मनन योग्य है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के मूल्यांकन में यह पुस्तक नए आयाम खोलती है, जिसका आधार भाषा शास्त्र है।
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