1
/
of
1
Humsafaron Ke Darmiyan
Humsafaron Ke Darmiyan
by Shamim Hanfi
No reviews
Regular price
Rs 269.10
Regular price
Rs 299.00
Sale price
Rs 269.10
Unit price
/
per
Shipping calculated at checkout.
Couldn't load pickup availability
Number Of Pages: 248
Binding: Paperback
आधुनिक उर्दू कविता के बारे में यह छोटी सी किताब मेरे कुछ निबन्धों पर आधारित है। समकालीन साहित्य और उससे सम्बन्धित समस्यायें मेरी सोच और दिलचस्पी का खास विषय रही हैं। पिछले पचास-साठ बरसों में मैंने इस विषय पर कम से कम साठ-सत्तर निबन्ध लिखे होंगे। उन्नीसवीं सदी और बीसवीं सदी के बहुत से शायरों को मैंने अपने आलोचनात्मक अध्ययन का बहाना बनाया। यानी कि $गालिब से लेकर आज तक की शायरी में मेरी गहरी दिलचस्पी रही है। यहाँ आगे बढऩे से पहले एक और सफाई देना चाहता हूँ। पारम्परिक प्रगतिवाद, आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकतावाद में मेरा विश्वास बहुत कमज़ोर है। मैं समझता हूँ कि हमारी अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक परम्परा के सन्दर्भ में ही हमारे अपने प्रगतिवाद, आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकता की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिये। हमारा जीवन हमारे समय के पश्चिमी जीवन और सोच-समझ की कार्बन कॉपी नहीं है। जिस तरह हमारा सौन्दर्यशास्त्र या Aesthetic Culture अलग है उसी तरह हमारी प्रोगे्रसिविज़्म (Progressivism) और Modernity या ज़दीदियत भी अलग है। मैंने इसी दृष्टिकोण के साथ आधुनिक युग के अधिकतर शायरों को समझने की कोशिश की है। यह निबन्ध मेरी दो किताबों—'हमसफरों के दरमियां’ (सह यात्रियों के बीच) और 'हमन$फसों की बज़्म में’ (यार-दोस्तों की सभा में) से लिये गये हैं। इनमें मेरा विषय बनने वाले शायरों का स्वभाव, चरित्र, चेतना और रूप-रंग अलग-अलग हैं। मैं समझता हूँ कि आधुनिकतावाद को इसी भिन्नता और बहुलता का प्रतीक होना चाहिए। —शमीम हनफी (प्रस्तावना से) बैक कवर ''हालाँकि हिन्दी में उर्दू साहित्य के आधुनिक दौर के अधिकांश शायरों से खासी वाकिफयत रही है, उन पर स्वयं उर्दू में जो विचार और विश्लेषण हुआ है उससे हमारा अधिक परिचय नहीं रहा है। शमीम हनफी स्वयं शायर होने के अलावा एक बड़े आलोचक के रूप में उर्दू में बहुमान्य हैं। उनके कुछ निबन्धों के इस संचयन के माध्यम से उर्दू की आधुनिक कविता की कई जटिलताओं, तनावों और सूक्ष्मताओं को जान सकेंगे और कई बड़े उर्दू शायरों की रचनाओं का हमारा रसास्वादन गहरा होगा। हमें यह संचयन प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है।” —अशोक वाजपेयी
Share
