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Jadoo Ka Kaleen

Jadoo Ka Kaleen

by Mridula Garg

Regular price Rs 95.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 87

Binding: Paperback

राजनितिक, प्रशासनिक भ्रष्टाचार के पूरे तंत्र को खोलने वाला, बच्चों की चीख सा दर्दनाक नाटक जादू का कालीन ‘ऐसा एक पेंच है’ जहाँ सब मिलकर हमारी निर्ममता को बेनकाब करते हैं । इसमें पत्र बच्चे हैं पर नाटक वयस्कों के लिए है क्योंकि वही हैं जिन्हें इस निर्ममता का प्रतिकार करना है । सारी विसंगति, मानवीय विडम्बना, पाखण्ड के बीच मृदुला गर्ग ने फंटेसी की ले को पकड़ा है । यह उनकी नाट्यकला का नमूना है कि वे निर्मामाताओं के बीच बच्चों की उड़नछू प्रवृति को नहीं भूलतीं! जिस कालीन को बनना उनके शोषण का माध्यम है, बच्चे उसी को जादू का कालीन बतलाकर कहते हैं कि वे उस पर बैठकर उड़नछू हो जायेंगे । एक...दो...तीन उठंउठू : तीन...दो...एक भरणभरू : एक दो तीन...उड़नछू । यह गीत मुक्ति का मंतर बन जाता है, जो पूरे नाटक में आशा के स्वर की तरह गूंजता है । नाटक में मृदुला जी ने लोक का कथात्मक स्वर भी बखूबी जोड़ा है ।
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