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Kaale Kos

Kaale Kos

by Balwant Singh

Regular price Rs 225.00
Regular price Rs 250.00 Sale price Rs 225.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 390

Binding: Paperback

बलवंत सिंह का रचनाकार न तो अतिरिक्त सामाजिकता से आक्रांत रहता है और न ही कला और शिल्प के दबावों से आतंकित। अपनी सतत जागरूक और सचेत निगाह से वे अपने कथा-चरित्रों और कथा-भूमि के सबसे विश्वसनीय यथार्थ तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। शिल्प और संवेदना का द्वंद्व उनकी रचनाओं में प्रशंसनीय संतुलन के साथ प्रकट होता है। उनकी औपन्यासिक कृतियाँ अपने कलेवर में महा- काव्यात्मक गरिमा से परिपूर्ण होती हैं। दूसरी तरफ उनके पात्र भी अपने जीवन के चौखटे में अपनी भरपूर ऊर्जा के साथ प्रकट होते हैं। वे नुमाइशी और कृत्रिम नहीं होते, बल्कि जिंदगी की अनिश्चितता और अननुमेयता से जूझते हुए, हाड़-मांस के साधारण, खुरदुरे लोग होते हैं जिनका वैशिष्ट्य एक खास संलग्नता के साथ देखने पर ही दिखाई देता है। बलवंत सिंह की रचनाएँ इस संलग्नता से बखूबी पगी हुई होती हैं। ‘काले कोस’ की पृष्ठभूमि में भी ऐसे ही लोगों की छवियाँ दिखाई देती हैं। पंजाब की धरती की खूशबू में रसे-बसे और अपनी कमजोरियों-खूबियों से जूझते ये लोग देर तक पाठक की स्मृति में अपनी जगह बनाए रखते हैं। यह कहानी पंजाब के बंटवारे से शुरू होकर फसादों में ख़त्म हो जाती है ! लेकिन इस ख़त्म हो जाने के साथ ही पाठक के मन में जो कुछ छोड़ जाती है, वह एक ऐसी तीस है जो आज तक ख़त्म नहीं हो पाई है !
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