Khabron Ki Jugali
by Shrilal Shukla
Original price
Rs 395.00
Current price
Rs 369.00


- Language: Hindi
- ISBN: 9788126711321
Product Description
‘ख़बरों की जुगाली’ विख्यात रचनाकार श्रीलाल शुक्ल के लेखन का नया आयाम है। यह न केवल व्यंग्य लेखन के नजरिए से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि समाज में चतुर्दिक व्याप्त विद्रूपों के उद्घाटन की दृष्टि से भी बेमिसाल है। साठ के दशक में श्रीलाल शुक्ल ने अपनी कालजयी कृति ‘राग दरबारी’ में जिस समाज के पतन को शब्दबद्ध किया था, वह आज गिरावट की अनेक अगली सीढ़ियाँ भी लुढ़क चुका है। उसकी इसी अवनति का आखेट करती हैं ‘ख़बरों की जुगाली’ की रचनाएँ। ये रचनाएँ वस्तुतः नागरिक के पक्ष से भारतीय लोकतंत्र के धब्बों, जख़्मों, अंतर्विरोधों और गड्ढों का आख्यान प्रस्तुत करती हैं। हमारे विकास के मॉडल, चुनाव नौकरशाही, सांस्कृतिक क्षरण, विदेशनीति, आर्थिकनीति आदि अनेक जरूरी मुद्दों की व्यंग्य-विनोद से सम्पन्न भाषा में तल्ख और गम्भीर पड़ताल की है ‘ख़बरों की जुगाली’ की रचनाओं ने। ‘जुगाली’ को स्पष्ट करते हुए श्रीलाल शुक्ल बताते हैं - ‘‘यह जुगाली बहुत हद तक लेखक पाठकों की ओर से, उनकी सम्भावित शंकाओं और प्रश्नों को देखते हुए कर रहा था। वे प्रश्न और शंकाएँ अभी भी हमारा पीछा कर रही हैं।’’ इस संदर्भ में खास बात यह है कि उन प्रश्नों और शंकाओं के पनपने की वज़ह मौजूदा सामाजिक व्यवस्था का सतर्क सचेत पीछा कर रही है श्रीलाल शुक्ल की लेखनी।