Khamosh Nange Hamam Mein Hain
by Gyan Chaturvedi
Rs 95.00


- Language: Hindi
- Pages: 115
- ISBN: 9788126728558
- Category: Humorous
- Related Category: Satire & Humour
Product Description
परसाई, शरद जोशी, रवीन्द्रनाथ त्यागी और श्रीलाल शुक्ल की पीढ़ी के बाद, यदि हिंदी-विश्व को कोई एक व्यंग्यकार सर्वाधिक आश्वस्त करता है तो वह ज्ञान चतुर्वेदी हैं ! वे क्या 'नया लिख रहे हैं'-इसको लेकर जितनी उत्सुकता उनके पाठकों को रहती है, उतनी ही आलोचकों को भी ! विशेष तौर पर, राजकमल द्वारा ही प्रकाशित अपने दो उपन्यासों नरक यात्रा और बारामासी के बाद तो ज्ञान चतुर्वेदी इस पीढ़ी के व्यंग्यकारों के बीच सर्वाधिक पठनीय, प्रतिभावान, लीक तोड़नेवाले और हिंदी-व्यंग्य को वहां से नई ऊँचाइयों पर ले जानेवाले माने जा रहे हैं, जहाँ परसाई ने उसे पहुँचाया था ! ज्ञान चतुर्वेदी में परसाई जैसा प्रखर चिंतन, शरद जोशी जैसा विट, त्यागी जैसी हास्य-क्षमता तथा श्रीलाल शुक्ल जैसी विलक्षण भाषा का अदभुत मेल है, जो उन्हें हिंदी-व्यंग्य के इतिहास में अलग ही खड़ा करता है ! ज्ञान को आप जितना पढ़ते हैं, उतना ही उनके लेखन के विषय-वैविध्य, शैली की प्रयोगधर्मिता और भाषा की धुप-छाँव से चमत्कृत होते हैं ! वे जितने सहज कौशल से छोटी-छोटी व्यंग्य-तेवर देखते ही बनते हैं ! ज्ञान चतुर्वेदी विशुद्ध व्यंग्य लिखने में उतने ही सिद्धहस्त हैं, जितना 'निर्मल हास्य' रचने माँ ! वास्तव में ज्ञान की रचनाओं में हास्य और व्यंग्य का ऐसा नापा-तुला तालमेल मिलता है, जहाँ 'दोनों ही' एक-दुसरे की ताकत बन जाते हैं ! और तब हिंदी की यह 'बहस' ज्ञान को पढ़ते हुए बड़ी बेमानी मालूम होने लगती है कि हास्य के (तथाकथित) घालमेल से व्यंग्य का पैनापन कितना कम हो जाता है ? सही मायनों में तो ज्ञान चतुर्वेदी के लेखन से गुजरना एक 'सम्पूर्ण व्यंग्य-रचना' के तेवरों से परिचय पाने के अद्धितीय अनुभव से गुजरना है !