Author: Govind Mishra
Languages: Hindi
Number Of Pages: 287
Binding: Hardcover
Package Dimensions: 7.1 x 4.8 x 0.9 inches
Release Date: 01-10-2021
Details: Product Description रचना अच्छी, कहीं-कहीं बहुत अच्छी, अच्छी के अतिरिक्त सशक्त लगी। न यह स्थानाबद्ध है और न समयाबद्ध...यह रचना की विशेषता है। जिन पात्रों और घटनाओं को लेखक ने लिया है, पात्रों के जो कार्यकलाप हैं, उसके पीछे की मार्मिक कारण-जगत की खोज लेखक को निरंतर रही है। अपने को औरों में खोजने की वृत्ति...जो ‘लाल पीली जमीन’ की औपन्यासिक दृष्टि है...वह मुझे विश्वसनीय प्रतीत होती है। –जैनेन्द्र कुमार पढ़ने में रुचिकर और सिर्फ पाठक की दृष्टि से कहूँ तो यह एक सफल, सशक्त और एक स्थायी प्रभाव छोड़नेवाला उपन्यास है। इसके कई चरित्र और घटनाएँ मुझे याद हैं और उनकी याद रहेगी। आंचलिकता केवल भाषिक परिवेश तक सीमित है। उपन्यास की भाषा ने मुझे बहुत आकृष्ट किया। इस उपन्यास ने बहुत-से ऐसे शब्द हिन्दी को दिए हैं जो ज्यादा आसानी से आज की साधु हिन्दी ग्रहण कर सकती है। भाषा की दृष्टि से इस उपन्यास की यह महत्त्वपूर्ण देन रही। –अज्ञेय बुंदेलखंड का जन्म से मरण तक कोई ऐसा पहलू नहीं है जो इस उपन्यास में न आया हो और सो भी ‘फर्स्ट हैंड’। इस उपन्यास के कई गुण हैं मगर सबसे बड़ा गुण है, गोविन्द मिश्र के बयान का अन्दाज जो बातों को शुरू से अन्त तक कहानी बनाए रखता है। यह पुस्तक हमारे उपन्यास साहित्य में एक नक्षत्र की तरह चमकती रहेगी। –भवानी प्रसाद मिश्र उपन्यास की घटनाएँ बहुत सजीव हैं। कोई पात्र ‘स्टॉक’ नहीं जान पड़ता, बराबर एक साफ, सुडौल, विशिष्ट, महीन से महीन रेखाओं से उकेरा हुआ व्यक्ति सामने आता है। –निर्मल वर्मा About the Author गोविन्द मिश्र गोविन्द मिश्र समकालीन कथा-साहित्य में एक ऐसी उपस्थिति जिनकी वरीयताओं में लेखन सर्वोपरि है, जिसकी चिन्ताएँ समकालीन समाज से उठकर ‘पृथ्वी पर मनुष्य’ के रहने के सन्दर्भ तक जाती हैं और जिनका लेखन-फलक ‘लाल पीली ज़मीन’ के खुरदरे यथार्थ, ‘तुम्हारी रोशनी में’ की कोमलता और काव्यात्मकता, ‘धीरसमीरे’ की भारतीय परम्परा की खोज, ‘हुजूर दरबार’ और ‘पाँच आँगनोंवाला घर’ की इतिहास और अतीत के सन्दर्भ में आज के प्रश्नों की पड़ताल–इन्हें एक साथ समेटे हुए है। प्राप्त कई पुरस्कारों/सम्मानों में ‘पाँच आँगनोंवाला घर’ के लिए 1998 का ‘व्यास सम्मान’, 2008 में ‘साहित्य अकादेमी’, 2011 में ‘भारत-भारती सम्मान’, 2013 का ‘सरस्वती सम्मान’ विशेष उल्लेखनीय हैं। प्रमुख कृतियाँ : वह अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली ज़मीन, हुज़ूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीरसमीरे, पाँच आँगनोंवाला घर, फूल...इमारतें और बन्दर, कोहरे में क़ैद रंग, धूल पौधों पर, अरण्यतंत्र (उपन्यास); पगला बाबा, आसमान...कितना नीला, हवाबाज़, मुझे बाहर निकालो, नये सिरे से आदी (कहानी-संग्रह); निर्झरिणी (सम्पूर्ण कहानियाँ दो खंडों में); धुंध-भरी सुर्ख़ी, दरख़्तों के पार...शाम, झूलती जड़ें, परतों के बीच (यात्रा-वृत्त); साहित्य का सन्दर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना, साहित्य, साहित्यकार और प्रेम, सान्निध्य-साहित्यकार (निबन्ध); ओ प्रकृति माँ! (कविता); मास्टर मनसुखराम, कवि के घर में चोर, आदमी का जानवर (बाल-साहित्य); रंगों की गंध (समग्र यात्रा-वृत्त दो खंडों में); चुनी हुई रचनाएँ (तीन खंडों में)।