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Lokpriya Shayar Aur Unki Shayari - Jigar Moradabadi
Lokpriya Shayar Aur Unki Shayari - Jigar Moradabadi
by Jigar Moradabadi
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Binding: Paperback
इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक-माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। इस पुस्तक-माला का संपादन उर्दू के सुप्रसिद्ध संपादक प्रकाश पंडित ने किया था। हर पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिए हैं। प्रकाश पंडित ने हर शायर के जीवन और लेखन पर-जिनमें से कुछ समकालीन शायर उनके परिचित भी थे - रोचक और चुटीली भूमिकाएं लिखी हैं। आज तक इस पुस्तक-माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज-सज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है जिसमें उर्दू शायरी के जानकार सुरेश सलिल ने हर पुस्तक में अतिरिक्त सामग्री जोड़ी है। जिगर मुरादाबादी (1890-1960) का वास्तविक नाम अली सिकन्दर था और वे बीसवीं सदी के एक मुकम्मल ग़ज़ल लिखने वाले शायर माने जाते हैं। साधारण शिक्षा के बावजूद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने उन्हें ऑनरेरी डि.लिट्. डिग्री से नवाज़ा। अजीब शक्ल-सूरत और रोज़ी-रोटी के लिए स्टेशन पर चश्मे बेचने वाले ‘जिगर’ जब शे’र कहना शुरू करते तो लोगों पर जादू-सा छा जाता। ‘जिगर’ उन भाग्यशाली शायरों में से हैं जिनकी रचनाएँ उनके जीवन-काल में ही ‘क्लासिक’ मानी जाने लगीं।
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