Skip to product information
1 of 1

Main Aur Tum

Main Aur Tum

by Martin Buber

Regular price Rs 179.10
Regular price Rs 199.00 Sale price Rs 179.10
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.
Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 123

Binding: Paperback

अस्तित्ववादी चिन्तन-सरणी में सामान्यत: सात्र्र-कामू की ही बात की जाती है और आजकल हाइडेग्गर की भी; लेकिन एक कवि-कथाकार के लिए ही नहीं समाज के एकत्व का सपना देखने वालों के लिए भी मार्टिन बूबर का दर्शन शायद अधिक प्रासंगिक है क्योंकि वह मानवीय जीवन के लिए दो बातें अनिवार्य मानते हैं : सहभागिता और पारस्परिकता। अस्तित्ववादी दर्शन में अकेलापन मानव-जाति की यन्त्रणा का मूल स्रोत है। लेकिन बूबर जैसे आस्थावादी अस्तित्ववादी इस अकेलेपन को अनुल्लंघनीय नहीं मानते क्योंकि सहभागिता या संवादात्मकता में उसके अकेलेपन को सम्पन्नता मिलती है। इसे बूबर मैं-तुम की सहभागिता, पारस्परिकता या 'कम्युनियन’ मानते हैं। यह मैं-तुम अन्योन्याश्रित है। सात्र्र जैसे अस्तित्ववादियों के विपरीत बूबर 'मैं’ का 'अन्य’ के साथ सम्बन्ध अनिवार्यतया विरोध या तनाव का नहीं मानते, बल्कि तुम के माध्यम से मैं को सत्य की अनुभूति सम्भव होती है, अन्यथा वह तुम नहीं रहता, वह हो जाता है। यह तुम या 'ममेतर’ व्यक्ति भी है, प्रकृति भी और परम आध्यात्मिक सत्ता भी। 'मम’ और 'ममेतर’ का सम्बन्ध एक-दूसरे में विलीन हो जाने का नहीं, बल्कि 'मैत्री’ का सम्बन्ध है। इसलिए बूबर की आध्यात्मिकता भी समाज-निरपेक्ष नहीं रहती बल्कि इस संसार में ही परम सत्ता या ईश्वर के वास्तविकीकरण के अनुभव में निहित होती है; लौकिक में आध्यात्मिक की यह पहचान कुछ-कुछ शुद्धाद्वैत जैसी लगती है। विश्वास है कि 'आई एण्ड दाऊ’ का यह अनुवाद हिन्दी पाठकों को इस महत्त्वपूर्ण दार्शनिक के चिन्तन को समझने की ओर आकर्षित कर सकेगा। —प्राक्कथन से
View full details

Recommended Book Combos

Explore most popular Book Sets and Combos at Best Prices online.