Skip to product information
1 of 1

Meri Jail Diary

Meri Jail Diary

by Yashpal

No reviews
Regular price Rs 360.00
Regular price Rs 400.00 Sale price Rs 360.00
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.
Binding

Binding: Hardcover

अपनी क्रातिकारी एवं साम्राज्य विरोधी गरिविधियों के लिए पुलिस-मुठभेड़ के बाद यशपाल 23 जनवरी, 1932 को इलाहबाद में गिरफ्तार हुए ! इसके लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई ! अपने कारावास के दौर में वे नैनी, सुल्तानपुर, बरेली, फतेहपुर आदि विभिन्न जेलों में रहे ! राजनितिक बंदी होने से बी क्लास की सुविधाओं के कारण, जीवन की कोई विशेष आशा न होने पर भी, उन्होंने अपने इस समय को पढने-लिखने और विभिन्न भाषाएँ सीखने में लगाया ! उन्होंने कहानियां लिखीं और पढ़ी गई सामग्री के विस्तृत नोट्स लिये ! दोस्तोवस्की, जुलियस फ्युचिक, ग्राम्शी और भात सिंह आदि की तरह जेल-जीवन में एक तरह से उनका अधिकतर समय इस रचनात्मक उद्यम में ही बीता ! जेल-प्रवास का दौर यशपाल के लिए वस्तुतः ढेर सारे फैसलों का दौर भी था ! जीवित बहार निकलने के बाद भविष्य की चिंता तो थी ही, यह भी तय करना था कि अब करना क्या है ! यशपाल की यह डायरी उनकी रचनात्मक तैयारी का साक्ष्य है ! इसमें उन अनेक कहानियों का पहला ड्राफ्ट मिलता है जो बाद में ‘पिंजरे की उड़ान’ और ‘वो दुनिया’ में संकलित की गई ! इस सामग्री में महात्मा गाँधी की अहिंसा और सत्याग्रह, लेनिन की राजनितिक पद्धति और फ्रायड के मनोविश्लेषण जैसे परस्पर-विरोधी विचार-सरणियों तक पहुँचने और चीजों को देखने, समझने की यशपाल की चिंता को देखा जा सकता है ! कुल मिलकर यह सारी सामग्री उनकी उस रचनात्मक बेचैनी का साक्ष्य है जिससे उबरकर ही वे एक पत्रकार और लेखक के रूप में अपना रूपांतरण करते हैं ! इन्हें उनके जीवन के समान्तर रखकर पढ़ा जा सकता है ! ये सिर्फ कुछ उदाहरन है कि यशपाल की यह जे-डायरी उन्हें कैसे एक बहतर रूप में समझने का अवसर देती है !
View full details