Mohan Rakesh Ki Sampurna Kahaniyaan
Mohan Rakesh Ki Sampurna Kahaniyaan
by Mohan Rakesh
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Number Of Pages: 528
Binding: Hardcover
मोहन राकेश (8 जनवरी 1925 - 3 दिसम्बर 1972) हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न लेखक थे जिन्होंने मात्र सैंतालीस वर्षों के जीवनकाल में अनेक स्मरणीय नाटक, उपन्यास और कहानियों की रचना की। उनका नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ हिन्दी साहित्य का पहला आधुनिक नाटक माना जाता है। 1947 के बाद हिन्दी साहित्य के फलक पर उभरने वाले लेखकों में वे अग्रणी लेखक थे जिन्होंने बदलते समय और सन्दर्भ को आगे बढ़कर अपनाया और उसे अपने लेखन में उतारा। अपने समकालीन लेखकों कमलेश्वर और राजेन्द्र यादव के साथ उन्होंने ‘नयी कहानी साहित्यिक आन्दोलन’ को प्रारम्भ किया। 1947 से 1969 तक उनकी लिखी सभी 66 कहानियाँ इस संग्रह में सम्मिलित हैं। यदि कहानियाँ क्रमानुसार परखी जायें तो उनमें निरन्तर लेखकीय विकास मिलता है। कथा-शिल्प में तो मोहन राकेश माहिर थे और थोड़े से शब्दों में बहुत कह जाना उनकी विशेषता थी जो इस बात का प्रमाण है कि भाषा पर उनका कितना अधिकार था। उनकी कुछ कहानियों की पृष्ठभूमि शहरी मध्यवर्ग है तो कुछ कहानियों में भारत विभाजन के दर्द की पुकार सुनाई देती है, लेकिन हर एक कहानी पाठक के दिल और दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है।
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