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Mrichchhakatik

Mrichchhakatik

by Mohan Rakesh

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Binding

Number Of Pages: 212

Binding: Hardcover

संस्कृत नाटकों की लगभग एक हज़ार वर्ष लंबी नाट्य-परंपरा में महाकवि शूद्रक की रचना ‘मृच्छकटिकम्’ अपना अद्वितीय स्थान रखती है। इसका हिंदी रूपांतर सुप्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार स्व. मोहन राकेश ने बहुत पहले किया था। ‘मृच्छकटिक’ अर्थात् मिट्टी की गाड़ी जिसमें एक ओर चारुदत्त और वसंतसेना की प्रेमकथा है तो दूसरी ओर उसकी पृष्ठभूमि में तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों का ऐसा सशक्त एवं जीवंत चित्रण है कि वह इस नाटक को अनायास ही प्रत्येक युग के लिए आश्चर्यजनक रूप से समसामयिक बना डालता है। चोर, जुआरी, राजा का साला, शरीर की मालिश करने वाला और रिश्वतखोर कर्मचारी और इन सबके साथ-साथ राजसत्ता को पलटने में सफल लोकक्रांति - ये सभी तत्त्व मिलकर इस नाटक को एक ऐसा कलेवर प्रदान करते हैं, जो संभवतः पूरे भारतीय नाट्य-साहित्य में दुर्लभ है। हमें विश्वास है कि अपने रूपांतर में पाठकों, अध्येताओं और रंगकर्मियों के बीच ‘मृच्छकटिक’ का पुनः वैसा ही स्वागत होगा, जैसा कि पहले संस्करण के समय हुआ था।
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