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Mujhe Kuch Kehna Hai

Mujhe Kuch Kehna Hai

by Khwaja Ahmad Abbas

Regular price Rs 225.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 264

Binding: Paperback

बहुत कम लोग जानते हैं कि फल्मकार-कहानीकार ख्वाजा अहमद अब्बास की कलम की दुनिया कितनी बड़ी थी। सत्तर साल की अपनी जि़न्दगी में उन्होंने 70 ही किताबें भी लिखीं और असंख्य अ$खबारों और रिसालों में आलेख भी। हर बुधवार को 'ब्लिट्ज' में उनका स्तम्भ, अंग्रेजी में 'द लास्ट पेज' और उर्दू में 'आज़ाद कलम' शीर्षक से छपता था। और आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे उन्होंने चालीस साल लगातार लिखा, जिसमें दोनों ज़बानों के विषय भी अक्सर अलग होते थे। कहते हैं कि ये दुनिया में अपने ढंग का एक रिकॉर्ड है। आपके हाथों में जो है वह उनकी कहानियों का संकलन है। इस संकलन की सभी 17 कहानियों को उनकी नातिन और उनके साहित्य की अध्येता ज़ोया ज़ैदी ने संग्रहित किया है। इनमें कुछ कहानियाँ पहली बार हिन्दी में आ रही हैं। डॉ. ज़ैदी का कहना है कि अब्बास साहब ऐसे व्यक्ति थे जिनके ''जीवन का लक्ष्य होता है, एक उद्देश्य जिसके लिए वे जीते हैं। एक म$कसद मनुष्य के समाज में बदलाव लाने का, उसकी सोई हुई आत्मा को जगाने का।'' यही काम उन्होंने अपनी कहानियों, फल्मों और अपने स्तम्भों में आजीवन किया। आमजन से हमदर्दी, मानवीयता में अटूट विश्वास, स्त्री की पीड़ा की गहरी पारखी समझ और भ्रष्ट नौकरशाही से एक तीखी कलाकार-सुलभ जुगुप्सा, वे तत्त्व हैं जो इन कहानियों में देखने को मिलते हैं। डॉ. ज़ैदी के शब्दों में, ये कहानियाँ अब्बास साहब की आत्मा का दर्पण हैं। इन कहानियों में आपको वो अब्बास मिलेंगे जो इनसान को एक विकसित और अच्छे व्यक्ति के रूप में देखना चाहते थे। इस किताब का एक $खास आकर्षण ख्वाजा अहमद अब्बास का एक साक्षात्कार है जिसे किसी और ने नहीं, कृश्न चंदर ने लिया था।

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