गौतम राजऋषि...एक नाम जो ग़ज़ल की दुनिया में अपनी नयी, अनूठी और अनछुई इमेजरी को लेकर विगत कुछ सालों में एकदम से उभरकर आया है और जिनकी कही हुई ग़ज़लों के शे’र युवाओं और सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हुए हैं। जब वे कोई मिसरा नहीं बुन रहे होते हैं तो उस वक्त अपने कंधे पर लगे सितारे और सीने पर टँके पदकों की दमक थोड़ी और बेहतर कर रहे होते हैं। ‘सेना मेडल’ से विभूषित भारतीय सेना का जांबाज़ कर्नल ...‘नीला-नीला सा शायर’ है जिसके नीले-नीले अशआर कहानियाँ सुनाते हैं, बूढ़े चिनार के पेड़ों की, चाँदी सी चमकती बर्फ़ीली वादियों की, महबूब की याद में दोहरे हो चुके दिसम्बर की और हर उस शय की जहाँ इश्क़ थोड़ा सा ठहरकर ग़ज़ल में घुल जाता है। दैनिक जागरण की बैस्टसेलर लिस्ट में लगातार जगह बनाये हुए, अपने पहले ग़ज़ल-संग्रह ‘पाल ले इक रोग नादाँ’ से गौतम ने ग़ज़ल-गाँव में अपने स्पेशल सिग्नेचर की शिनाख्त दर्ज़ की है। और उनके कहानी-संग्रह ‘हरी मुस्कुराहटों वाला कोलाज’ को पाठकों ने बेहद सराहा है। उनका सम्पर्क है : gautam_rajrishi@yahoo.co.in; mobile no. 9759479500
-
Categories
- Aaj Urdu Magazine
- Anthology
- Biographies, Diaries & True Accounts
- Business, Economics and Investing
- Children's & Young Adult
- Classics
- Crafts, Home & Lifestyle
- Crime, Thriller & Mystery
- Culinary
- Deewan
- Epics
- Fantasy, Horror & Science Fiction
- Film, Theater & Drama
- Historical Fiction
- History
- Humorous
- Journalism
- Kulliyat
- Language, Linguistics & Writing
- Legends & Mythology
- Letters
- Nature, Wildlife & Environment
- Novel
- Poetry
- Politics
- Religion
- Research & Criticism
- Romance
- Sciences, Technology & Medicine
- Self Help & Inspiration
- Short Stories
- Translation
- Travel
- Merchandise
- Languages
- Blogs