‘नीले घोड़े का सवार’ सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यासकार डा. राजेन्द्रमोहन भटनागर कृत प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप को लेकर लिखा गया अन्यतम उपन्यास है। यह उपन्यास अनवरत शोध का परिणाम है। आपको बहुत कुछ नया ज्ञात हुआ और नये की स्थापना करना अत्यन्त आवश्यक हो गया। यह उपन्यास न केवल अपने समय का जीवित दस्तावेज़ है अपितु तत्कालीन जनजीवन की सामाजिक, आर्थिक और आंशिक रूप से धार्मिक स्थिति को समझने में मदद करने वाला ग्रन्थ है। इसके द्वारा महाराणा प्रताप का एक सर्वथा जीवन्त मानवीय चरित्र सामने आता है। कथाकार ने इतिहास का सार्थक उपयोग किया है। कथा में रोचकता की वृद्धि हुई है और सांस्कृतिक-सामाजिक सरोकारों को ज़्यादा सार्थकता हासिल हुई है।-‘आजकल’। लेखक ने एक ओर इतिहास रस का परिपाक किया है तो दूसरी ओर रचना के माध्यम से प्रताप के जीवन-संघर्ष का उदात्तीकरण भी किया है।-‘नया शिक्षक’।
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