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Parshuram Ki Pratiksha

Parshuram Ki Pratiksha

by Ramdhari Singh Dinkar

Regular price Rs 135.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 92

Binding: Paperback

इस संग्रह में कुल अठारह कविताएँ हैं, जिनमें से पन्द्रह ऐसी हैं जो पहले किसी भी संग्रह में नहीं थीं।... लोहित में गिरकर जब परशुराम का कुठार पाप-मुक्त हो गया, तब उस कुठार से उन्होंने एक सौ वर्ष तक लड़ाइयाँ लड़ीं और समन्तपंचक में पाँच शोणित-ह्रद बनाकर उन्होंने पितरों का तर्पण किया। जब उनका प्रतिशोध शान्त हो गया, उन्होंने कोंकण के पास पहुँच-कर अपना कुठार समुद्र में पेंâक दिया और वे नवनिर्माण में प्रवृत्त हो गये। भारत का वह भाग, जो अब कोंकण और केरल कहलाता है, भगवान् परशुराम का ही बसाया हुआ है। लोहित भारतवर्ष का बड़ा ही पवित्र भाग है। पुराकाल में वहाँ परशुराम का पापमोचन हुआ था। आज एक बार फिर लोहित में ही भारतवर्ष का पाप छूटा है। इसीलिए, भविष्य मुझे आशापूर्ण दिखायी देता है। ताण्डवी तेज फिर से हुंकार उठा है, लोहित में था जो गिरा, कुठार उठा है।
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