लोकप्रिय कवि व शायर गुलज़ार साहिब एक ऐसी शख़्सियत हैं जिन्हें परिचय की कोई ज़रूरत नहीं, उनके नाम की श्रेष्ठता और लोकप्रियता देखते ही बनती है। गुलज़ार साहिब एक मशहूर शायर, अप्रतिम फिल्मकार, संजीदा कहानी लेखक एवं बेहतरीन गीतकार होने के साथ एक मँजे हुए संवाद और पटकथा लेखक भी हैं। गुलज़ार साहिब की नयी नज़्मों को एक धागे में पिरोता उनका नया काव्य-संकलन ‘प्लूटो’ उनके प्रशंसकों और पाठकों के लिए नये साल की अवसर पर एक अमूल्य भेंट हैं। जीवन के विविध लम्हों को अपने मे समेटे हुये है ‘प्लूटो’। गुलज़ार साहिब अपनी नज़्मों में सीधे-सादे शब्दों से चौंका देनेवाली तस्वीरें गढ़ते हैं। कहीं तो पढ़नेवालों को अचानक काग़ज़ पर भारी-भरकम ख़याल दफनाये मिलते हैं और कहीं दिखाई देते हैं कर्ज की मिट्टी चबाते हुए किसान जो ख़ुदकुशी कर बैठते हैं। कभी वो दुबली-पतली पगडंडी पहाड़ की चोटी दिखती है और कभी मिलता है वो ढीला पड़ने वाला गुब्बारा जो दादा जी का चेहरा लगता है । एक के बाद एक जैसी ये नन्ही मुन्नी नज़्में अन्दर उतरती हैं जीने की लम्बी और गहरी कहानी आहिस्ता-आहिस्ता उभरने लगती है और फिर कोसों लम्बा सफ़र तय कर डालने का ढाढस मिलता है।
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