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Pratinidhi Kavitayen : Gajanan Madhav Muktibodh

Pratinidhi Kavitayen : Gajanan Madhav Muktibodh

by Gajanan Madhav Muktibodh

Regular price Rs 99.00
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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 186

Binding: Paperback

मुक्तिबोध की कविता अपने समय का जीवित इतिहास है: वैसे ही, जैस अपने समय में कबीर, तुलसी और निराला की कविता। हमारे समय का यथार्थ उनकी कविता में पूरे कलात्मक सन्तुलन के साथ मौजूद है। उनकी कल्पना वर्तमान से सीधे टकराती है, जिसे हम फन्तासी की शक्ल में देखते हैं। नई कविता की पायेदार पहचान बनकर भी उनकी कविता उससे आगे निकल जाती है, क्योंकि समकालीन जीवन के हॉरर की तीव्रतम अभिव्यक्ति के बावजूद वह एक गहरे आत्मविश्वास की उपज है। चीजों को वे मार्क्सवादी नजरिए से देखते हैं, इसीलिए उनकी कविताएँ सामाजिक यथार्थ के परस्पर गुम्फित तत्त्वों और उनके गतिशील यथार्थ की पहचान कराने में समथ हैं। वे आज की तमाम अमानवीयता के विरुद्ध मनुष्य की अन्तिम विजय का भरोसा दिलाती हैं। इस संग्रह में, जिसे मुक्तिबोध और उनके साहित्यिक अवदान की गहरी पहचान रखनेवाले सुपरिचित कवि, समीक्षक श्री अशोक वाजपेयी ने संकलित-सम्पादित किया है, उनकी प्रायः वे सभी कविताएँ संगृहीत हैं, जिनके लिए वे बहुचर्चित हुए हैं, और जो प्रगतिशील हिन्दी कविता की पुख्ता पहचान बनी हुई है।
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