Pratinidhi Shairy : Mirza Shauq Lakhnawi
by Mirza Shauq Lakhnawi
Rs 75.00


- Language: Hindi
- Pages: 174
- ISBN: 9788183613279
- Category: Poetry
- Related Category: Literature
Product Description
मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी ने नवाब मिर्ज़ा ‘शौक’ लखनवी को ‘उर्दू का एक बदनाम शायर’ तो कहा ही, साथ ही यह फैसला भी सुना दिया कि ‘आज उर्दू की तारीख में कहीं उसके लिए जगह नहीं।’ यह और बात है कि सच्चाई आखिर सिर चढ़कर बोलती है और अपने इसी लेख में मौलाना ने आखिर यह बात मानी कि ‘शौक’ की शायरी की खूबियों ने उनके नाम को गुमनाम नहीं होने दिया; उन्हें बदनाम करके सही, जिन्दा रक्खा। अलावा इसके, आखिर में वे खुद को यह भी कहने के लिए मजबूर पाते हैं कि ‘मशरिक़ के बेहया सुख़नगी, उर्दू के बदनाम शायर, रुखसत! तू दर्द भरा दिल रखता था; तेरी याद भी दर्दवालों के दिलों में ज़िन्दा रहेगी। तूने मौत को याद रक्खा; तेरी याद पर, इंशाअल्लाह, मौत न आने पाएगी।’’ इस सिलसिले में स्वर्गीय प्रो. ‘मजनूँ’ गोरखपुरी की बात भी याद रखने योग्य है। लिखते हैं कि उनके एक अंग्रेज प्रोफेसर ‘शौक’ की ‘ज़हरे-इश्क़’ से बेहद प्रभावित हुए और बोले, ‘‘तुम लोग हो बड़े कमबख़्त। यह मस्नवी और इस कस्मपुर्सी की हालत में! आज यूरोप में यह लिखी गई होती तो शायद की क़ब सोने से लेप दी गई होती और अब तक इस मस्नवी के न जाने कितने नुस्ख़े, रंगबिरंगे एडीशन निकल चुके होते।’’ प्रो. ‘मजनूँ’ गोरखपुरी ने तो बल्कि इस मस्नवी का शुमार जनवादी साहित्य में किया हैµ‘‘ख़यास के लिए यह ऐब है; मगर इसकी क़द्र अवाम से पूछिए।’’मुहावरेदार ज़बान और दिलकश तर्ज़े-बयान, देसज और अरबी-फ़ारसी शब्दों पर एक समान अधिकार और उन्हें आपस में दूध-शकर कर देने की क्षमता, पात्रों का जीवन्त चरित्रा-चित्राण और उनकी भावनाओं का मर्मस्पर्शी वर्णन, इश्क़े-मज़ाजी से इश्क़े-हक़ीक़ी तक की दास्तानµये तमाम ऐसी ख़ूबयाँ हैं जो ‘शौक’ को शायरों की पहली कतार में ला खड़ी करती हैं। और एक मस्नवी जब रंगमंच पर पेश की जाए, फिर पूरा हाल मातमघर बन जाए, चारों तरफ से सिसकियों और हिचकियों की आवाज़ें आनी लगें, कुछ लोग ग़श खाकर लुढ़क पड़े, घर जाकर एक लड़की आत्महत्या कर ले, कुछ और लोग आत्महत्या की कोशिश करें और फिर सरकार इस मस्नवी पर पाबन्दी लगा दे, तो आप इसे क्या कहेंगे? ‘शौक’ को अश्लील कहने वालों से यह बात ज़रूर पूछी जानी चाहिए कि अश्लीलता थोड़ी देर का मज़ा भले दे ले, क्या वह भावनाओं में इस तरह का तूफ़ान उठाने की क्षमता रखती है?