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Rajendra Yadav Rachanawali - Vol. 1-15

Rajendra Yadav Rachanawali - Vol. 1-15

by Rajendra Yadav

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Author: Rajendra Yadav

Languages: Hindi

Number Of Pages: 900

Binding: Hardcover

Package Dimensions: 8.5 x 5.7 x 1.2 inches

Release Date: 01-01-2014

Details: राजेंद्र यादव आजाद हिंदुस्तान की दहलीज पर तैयार खड़ी नौजवान पीढ़ी के उस समुदाय के सदस्य हैं जिसकी मानसिकता 20वीं सदी के तीसरे-चौथे-पांचवें दशक में विश्वव्यापी निराशा और मोहभंग में संरचित हुई है ! दहलीज पर खड़ी आजाद, नौजवान पीढ़ी के इस समुदाय के लिए विचार, दर्शन, रणनीति, भविष्य की संरचना, आगामी का नक्शा-सबकुछ एक भिन्न विवेक और नए तर्क के सहारे गढ़ा जाना है ! उसकी मंशा में नई शुरुआत अतीत के साथ सम्पूर्ण विच्छेद से होनी है ! राजेंद्र यादव के रचनात्मक उपक्रम की अंतर्वस्तु यही विचार है जो नई दुनिया की राचन का मूलाधार है ! यह ‘कैंड़े’ के आदमी का काम है; गुर्दा चाहिए ! दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक वायरल पराक्रम है ! अपनी पीढ़ी के रचनाकारों में राजेंद्र यादव विशेषतः अपने विचार को उसकी तार्किक संगति की आखिरी हद तक ले जा सकने की क्षमता से लैस दिखाई देते हैं ! उनके उपन्यासों में ऐसे ही किसी जड़ीभूत पारिवारिक-सामाजिक-राजनितिक आग्रहों के उच्छेदन का अभियान छेड़ा गया है ! रचनावली के खंड 1 से 5 तक में संकलित उपन्यास इसकी गवाही देते हैं ! राजेंद्र जी ने अपने लेखन का प्रारंभ कविताओं से किया ! परन्तु बाद में 1945-46 की इन आरंभिक कविताओं को महत्त्वहीन मां कर नष्ट कर दिया ! बाद में लिखी उनकी कविताएँ ‘आवाज तेरी है’ नाम से 1960 में ज्ञानपीठ प्रकाशन से प्रकाशित हुई ! इनके अतिरिक्त राजेंद्र यादव की कुछ कविताएँ अभी तक अप्रकाशित हैं ! रचनावली का पहला खंड उनके इसी आरंभिक लेखन को समर्पित है ! जिसमे एक तरफ उनकी प्रकाशित-अप्रकाशित कविताएँ हैं और दूसरी तरफ ‘प्रेत बोलते हैं’ और ‘एक था शैलेन्द्र’ जैसे प्रारंभिक उपन्यास ! दूसरे खंड में ‘उखड़े हुए लोग’ तथा ‘कुलटा’, तीसरे खंड में ‘ सारा आकाश’, ‘शह और मात’, ‘अनदेखे अनजान पुल’ और चौथे खंड में ‘एक इंच मुस्कान’ तथा ‘मंत्रविद्ध’ जैसे उपन्यास शामिल है ! रचनावली का पांचवां खंड राजेंद्र जी के अधूरे-अप्रकाशित उपन्यासों को एक साथ प्रस्तुत करता है ! अधूरे होने के कारण इन सब को एक ही खंड में शामिल किया गया है !

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