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Sangham Sharanam Gachchami: RSS Ke Safar Ka Ek Imandaar Dastavez

Sangham Sharanam Gachchami: RSS Ke Safar Ka Ek Imandaar Dastavez

by Vijai Trivedi

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Binding

Language: Hindi

Number Of Pages: 458

Binding: Paperback

1925 में डॉ. हेडगेवार ने भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के रूप में देखने के सपने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी। हिन्दुत्व में राष्ट्रवाद के मेल ने सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने के लम्बे सफ़र को आसान किया। इसमें नेता नहीं, विचारधारा महत्वपूर्ण है। संघ को सिर्फ़ शाखा के रास्ते समझना “पंचतंत्र के हाथी” को एक तरफ से महसूस करना भर है। दावा है कि संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। संघ के आज करीब 1,75,000 प्रकल्प और 60,000 से ज़्यादा शाखाएँ चलती हैं। देश के बाहर 40 से ज़्यादा देशों में उसके संगठन हैं।

आरएसएस “फीनिक्स” पक्षी की तरह है। तीन-तीन बार सरकार के प्रतिबंधों के बाद भी उसे ख़त्म नहीं किया जा सका, बल्कि उसका विस्तार हुआ। अब ज़िन्दगी का शायद ही कोई पहलू हो जिसे संघ नहीं छूता। बदलते वक़्त के साथ संघ ने सिर्फ़ अपना गणवेश ही नहीं बदला, नज़रिए को भी व्यापक बनाया। वक़्त के साथ बदलने की फ़ितरत संघ की मिट्टी में है।

अनुभवी पत्रकार विजय त्रिवेदी ने इस किताब में संघ के अब तक के सफ़र के ऐसे सभी अहम पड़ाव दर्ज किए हैं जिनके बिना भारत को पूरी तरह से समझना मुश्किल होगा। संघ की यात्रा के माध्यम से त्रिवेदी भारतीय राजनीति के कुछ अनकहे क़िस्सों की परतें भी उघाड़ते हैं। संघ के लगभग सभी पहलुओं को छूनेवाली यह किताब न सिर्फ़ अतीत का दस्तावेज़ है, बल्कि भविष्य का संकेत भी है।

संघम् शरणम् गच्छामि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कई मायनों में एक संपूर्ण किताब है जो उसके समर्थकों के साथ-साथ उसके आलोचकों को भी पढ़नी चाहिए, क्योंकि हकीकत यह है कि आप संघ को पसंद कर सकते हैं या फिर नापसंद, लेकिन उसे नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन है।

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