सरदार' यानी भारत के बिस्मार्क, लौहपुरुष सरदार पटेल का भारत के राष्ट्रीय आंदोलन तथा स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देश के निर्माण में जो केंद्रीय तथा ठोस योगदान रहा, वह तब तक याद किया जाता रहेगा जब तक भारत राष्ट्र एक बार फिर सुदृढ़, शक्तिशाली तथा शत्रु-शक्तियों से लोहा लेने में समर्थ नहीं हो जाता। आजादी के बाद बहुत जल्द उनका देहांत देश को मझधार में खड़ा छोड़ गया और पचास वर्ष बाद भी उसमें परिवर्तन होता नजर नहीं आ रहा- जो आज एक बार फिर उनके जीवन तथा गुणों को याद करने का कारण बन गया है। इस उद्देश्य से जीवनीपरक उपन्यासों के प्रख्यात लेखक राजेंद्रमोहन भटनागर ने सरदार पटेल के जीवन पर इस उपन्यास की रचना की है। यह बड़ी कुशलता से उस महान तेजस्वी और प्रखर व्यक्तित्व के सभी पक्षों को अंकित करता है। आज के सभी भारतीयों के लिए यह उपन्यास अवश्य पठनीय और प्रेरणा तथा स्फूर्तिदायी है। उपन्यास की शैली में लिखित यह संभवतः सरदार पटेल पर पहला और अकेला उपन्यास है।
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