श्रीकान्त शरतचन्द्र की प्रतिभा स्त्रियों की यन्त्रणा के चित्रण में अपने शिखर पर पहुँची है । उनका लगभग हर उपन्यास किसी–न–किसी रूप में स्त्रियों के जीवन की विडम्बनाओं के इर्द–गिर्द बुना हुआ है । ‘श्रीकान्त’ का नायक एक घुमक्कड़ है लेकिन उसकी इस यात्रा में उपन्यास कई ऐसी महिलाओं को हमारे सामने लाता है जिनके मा/यम से हम तत्कालीन समाज और व्यक्ति, पवित्रता और पाप की अव/ाारणाओं और विद्रोह और स्वीकृति जैसे शाश्वत द्वन्द्वों के अन्तर्संघर्ष को समझने की दिशा में सोचना शुरू करते हैं । इस उपन्यास में आर्इं राजलक्ष्मी, अन्नदा दीदी और सुनन्दा जैसे स्त्री पात्र आज भी हमें अपने आसपास के ही चरित्र लगते हैं । इनके जीवन और उसकी परिस्थितियों के द्वारा आज भी औरत के उस दुख को जाना जा सकता है जिसमें आज भी कोई बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है । उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास का अनुवाद नए सिरे से किया गया है, उन तमाम अंशों को साथ रखते हुए जो अभी तक उपलब्/ा अनुवादों में छोड़ दिए गए थे । एक सम्पूर्ण उत्कृष्ट उपन्यास ।
-
Categories
- Aaj Urdu Magazine
- Anthology
- Biographies, Diaries & True Accounts
- Business, Economics and Investing
- Children's & Young Adult
- Classics
- Crafts, Home & Lifestyle
- Crime, Thriller & Mystery
- Culinary
- Deewan
- Epics
- Fantasy, Horror & Science Fiction
- Film, Theater & Drama
- Historical Fiction
- History
- Humorous
- Journalism
- Kulliyat
- Language, Linguistics & Writing
- Legends & Mythology
- Letters
- Nature, Wildlife & Environment
- Novel
- Poetry
- Politics
- Religion
- Research & Criticism
- Romance
- Sciences, Technology & Medicine
- Self Help & Inspiration
- Short Stories
- Translation
- Travel
- Merchandise
- Languages
- Blogs