Srinkhala Ki Kadiyan
Srinkhala Ki Kadiyan
by Mahadevi Verma
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Author: Mahadevi Verma
Languages: Hindi
Number Of Pages: 139
Binding: Paperback
Package Dimensions: 8.5 x 5.5 x 0.4 inches
Release Date: 01-01-2008
Details: . .भारतीय नारी जिस दिन अपने सम्पूर्ण प्राण-प्रवेग से जाग सके, उस दिन उसकी गति रोकना किसी के लिए सम्भव नहीं । उसके अधिकारों के सम्बन्ध में यह सत्य है कि वे भिक्षावृत्ति से न मिले हैं, न मिलेंगे, क्योंकि उनकी स्थिति आदान-प्रदान योग्य वस्तुओं से भिन्न है । समाज में व्यक्ति का सहयोग और विकास की दिशा में उसका उपयोग ही उसके अधिकार निश्चित करता रहता है. किंतु अधिकार के इच्छुक व्यक्ति को अधिकारी भी होना चाहिए । सामान्यत: भारतीय नारी में इसी विशेषता का अभाव मिलेगा । कहीं उसमें साधारण दयनीयता है और कहीं असाधारण विद्रोह है, परन्तु संतुलन से उसका जीवन परिचित नहीं.. '' शृंखला की कड़ियाँ महादेवी वर्मा के चुने हुए निबंधों का महत्त्वपूर्ण संकलन है । प्रस्तुत संग्रह में ऐसे निबंध संकलित किए गए हैं जिनमें भारतीय नारी की विषम परिस्थितियों को अनेक दृष्टिबिंदुओं से देखने का प्रयास किया गया है ।
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